सुपौल-अररिया रेल परियोजना पर संकट
सामरिक दृष्टिकोण के साथ-साथ कोसी-सीमांचल को जोड़ने वाली बहुउद्देशीय सुपौल-अररिया रेल लाइन परियोजना पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस रेलखंड के लिए पर्याप्त भूमि का अधिग्रहण तो कर लिया गया है लेकिन जमीन के बदले मिल रहे मुआवजा को लेकर कई भू-स्वामियों में असंतोष है। प्रशासन के पास अपना विरोध जताते हुए कुछ भू-स्वामी कोर्ट की शरण में चले गए हैं।
जानकारों का कहना है कि मामला अगर कोर्ट में लंबे समय तक लंबित हो गया तो परियोजना शुरू होने में विलंब हो सकता है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि परियोजना शुरू करने के लिए रेलवे को जितनी जमीन चाहिए थी, उतने का अधिग्रहण हो चुका है। इसलिए परियोजना पर किसी तरह का संकट नहीं है।
अररिया-सुपौल रेलखंड के लिए सदर प्रखंड और पिपरा प्रखंड में 321 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है। भू-स्वामियों का कहना है कि उन्हें नये भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के प्रावधानों के तहत मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन ने सही तरीके से भूमि के किस्म के अनुसार उसका निर्धारण नहीं किया। ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
तीन भू-स्वामियों ने हाईकोर्ट में दायर किया रिट: नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 10 निवासी आशुतोष कुमार मिश्र ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उनकी भूमि नगर पालिका क्षेत्र के अधीन है। इसमें कृषि योग्य भूमि का बाजार दर नहीं है। लेकिन प्रशासन ने उन्हें कृषि योग्य भूमि का मुआवजा निर्धारित कर नोटिस भेज दिया। भू-अर्चन अधिसूचना के तहत मांगी गई आपत्ति आवेदन को बिना सुनवाई किए एकतरफा आदेश पारित किया गया जो अधिनियम की धारा 15, 19 और 21 का उल्लंघन है।
इसी तरह पिपरा प्रखंड के ही 22 प्रभावित रैयतों में विश्वंभर कुमार सहित अन्य भी कोर्ट की शरण में गए हैं। उनलोगों की आपत्ति है कि उनकी जमीन कटैया माहे मौजा में सड़क किनारे है लेकिन नए भूमि अधिग्रहण की अवहेलना करते हुए उनकी जमीन को भी कृषि योग्य मानते हुए मुआवजा निर्धारित कर दिया गया। उनका यह भी कहना है कि अधिनियम अवार्ड बनाने से पहले आपत्ति पर सुनवाई का प्रावधान है लेकिन प्रशासन ने इसकी भी अनदेखी की। पिपरा के ही दीनापट्टी मौजा के प्रभावित रैयत अजय कुमार की शिकायत है कि सड़क किनारे 15 कट्ठा जमीन में उनका घर भी है। शुरू से उनकी जमीन आवासीय किस्म में निर्धारित की गई है। लेकिन रेलवे के अधिग्रहित भूमि में उसे कृषि योग्य मान लिया गया।
स्रोत-हिन्दुस्तान