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सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देने वाले अमित शाह जी दलितों की आस्था के मुद्दे पर खामोश क्यों हैं

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सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देने वाले अमित शाह जी दलितों की आस्था के मुद्दे पर खामोश क्यों हैं : संजय सिंह

जिस समय संत रविदास जी के मंदिर का निर्माण हुआ उस समय डीडीए अस्तित्व में भी नहीं था : राजेंद्र पाल गौतम

शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठी चलाकर, झूठे केस लगा कर उन्हें जेल में बंद करा कर भाजपा ने अपनी दलित विरोधी मानसिकता प्रस्तुत की है: अजय दत्त

नई दिल्ली, 12 सितंबर 2019

आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने संत रविदास जी के मंदिर को तोड़कर करोड़ों दलितों की आस्था को ठेस पहुंचाई है।

संत रविदास जी जिनके बारे में यह कहा जाता है कि 1509 ईसवी में वह तुगलकाबाद के उस क्षेत्र में आए थे, जहां उनका मंदिर बना हुआ है, जिसके बहुत सारे साक्ष्य भी मौजूद हैं। भाजपा शासित डीडीए ने सैकड़ों वर्षों पुराने इस मंदिर को तोड़ दिया। जब देश के कई दलित संगठनों ने हमारे मंत्री राजेंद्र पाल गौतम एवं अंबेडकर नगर से हमारे विधायक अजय दत्त ने मिलकर इस अमानवीय कृत्य के विरोध में आंदोलन किया, तो घबराकर भाजपा के नेताओं की ओर से अलग-अलग बयान आने लगे।

उन्होंने कहा कि इन सभी बयानों पर विराम लगाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी ने दलित समाज की आस्था का ध्यान रखते हुए, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी जी को संत रविदास जी के इस मंदिर के संबंध में एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा की सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। देश की जनता को पता चल जाएगा कि भाजपा की मंशा क्या है, क्योंकि इतने दिनों से सिर्फ भाजपा बयान बाजी कर रही है, परंतु किसी प्रकार की कोई कार्रवाई भाजपा सरकार की ओर से नहीं की जा रही है। केंद्र सरकार को मात्र एक प्रस्ताव पारित करना है कि वन विभाग की उस जमीन को करोड़ों लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए डिनोटिफाई कर दिया जाए, और इस सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने आश्वस्त किया है कि जिस दिन डीडीए की ओर से यह प्रस्ताव आ जाएगा तुरंत प्रभाव से उस जमीन को डिनोटिफाई करने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इस जमीन पर मंदिर निर्माण की अनुमति मिल गई तो दिल्ली सरकार जनता के सहयोग से उस जगह पर संत रविदास जी का भव्य मंदिर निर्माण करेगी।

भाजपा जो कि शुरू से ही दलित समुदाय के विरोध में रही है, एक लंबे समय से भाजपा और उसकी सहयोगी संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दलित वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का विरोध करती रही है। संत रविदास जी के इस मंदिर को गिराकर भाजपा का दलित विरोधी चेहरा पूरे देश के सामने आ गया है, भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता पूरे देश के सामने उजागर हो गई है।

एक तरफ तो भाजपा सालों से राम मंदिर निर्माण को लेकर पूरे देश में ढकोसला करती फिर रही है और दूसरी तरफ करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े संत रविदास जी के मंदिर को तोड़ रही है। सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर देश के गृहमंत्री अमित शाह जी केरल में जाकर सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देते हुए कहते हैं कि कोर्ट को जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए निर्णय लेना चाहिए और वही भाजपा दिल्ली में जब दलितों की भावना की बात आती है तो सैकड़ों वर्षों पुराने संत रविदास जी के मंदिर को डीडीए के माध्यम से तुड़वा देती है।

प्रेस वार्ता में मौजूद कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि भाजपा कहती है, कि मंदिर तोड़ने का आदेश कोर्ट ने दिया। परंतु सवाल यह उठता है कि यह मामला कोर्ट में गया कैसे? अगर भाजपा शासित डीडीए मंदिर को तोड़ने की कार्यवाही नहीं करती तो यह मामला कोर्ट में जाता ही नहीं।

उन्होंने बताया की पुराने दस्तावेजों को देखा जाए तो चमार वाला तालाब और रविदास मंदिर दोनों ही जमाबंदी में और फर्द में उल्लेखित हैं। 1948 में मंदिर से संबंधित समिति को रजिस्टर्ड किया गया और समिति के रजिस्टर्ड होने से पहले से ही मंदिर और जौहर दोनों ही सरकारी कागजों में रजिस्टर्ड है। 1509 ईस्वी में संत रविदास जी इस जगह पर एक छोटी सी कुटिया बनाकर रहे। 1959 में उस कच्ची कुटिया को पक्का करके एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया गया, और दलित समाज के एक बड़े नेता बाबू जगजीवन राम जी ने उसका उद्घाटन किया था। उस समय तक डीडीए का निर्माण भी नहीं हुआ था, पहले से ही दलित समाज के लोग इस जगह पर अपनी आस्था प्रकट करते आए हैं।

राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि इन सारे तथ्यों को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने समिति की अपील को डिसमिस कर दिया। तत्पश्चात समिति ने हाईकोर्ट में अपील की परंतु हाई कोर्ट में भी सारे तथ्यों को दरकिनार करते हुए अपील को डिस्मिस कर दिया। परंतु हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह बात भी कही थी, कि समिति अगर चाहे तो डीडीए से अपील कर सकती है कि वह मंदिर निर्माण करने के लिए अलग से कोई जगह समिति को दे दें, ताकि मंदिर को नई जगह पर विस्थापित किया जा सके। तत्पश्चात समिति सुप्रीम कोर्ट गई परंतु सुप्रीम कोर्ट ने भी समिति की अपील को डिस्मिस करते हुए मंदिर को गिराने के आदेश दे दिए।

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि अगर केंद्र की डीडीए चाहती तो वह इस मंदिर को बचा सकती थी। जीडीए को मालूम था कि करोड़ों लोगों की आस्था इस मंदिर के साथ जुड़ी हुई है, परंतु बावजूद इसके डीडीए ने ऐसा नहीं किया। इस कृत्य से भाजपा का दलित विरोधी चेहरा देश के सामने बेनकाब हो गया है।

राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि मंदिर के लिए जमीन की मांग करते हुए मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को चिट्ठी लिखी थी, परंतु उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। उसके बाद देशभर के दलित संगठनों के साथ मिलकर भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन किया, वहां पर भी हमने मंदिर के लिए जमीन की मांग की थी। केंद्र सरकार ने मंदिर के लिए जमीन देना तो दूर उल्टा दलित आंदोलनकारियों को झूठे केसों में फंसा कर जेल में बंद कर दिया।

प्रेस वार्ता में मौजूद अंबेडकर नगर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के विधायक अजय दत्त ने कहा कि भाजपा ने डीडीए के माध्यम से संत रविदास जी के 600 साल पुराने मंदिर को तोड़कर अपने दलित विरोधी होने का प्रमाण प्रस्तुत किया है। उस समय देश में लोधियों का शासन था, यह जमीन उस समय के राजा द्वारा संत रविदास जी को दी गई थी, जिस समय इस मंदिर का निर्माण हुआ। उस समय डीडीए का अस्तित्व भी नहीं था। परंतु भाजपा ने अपनी दलित विरोधी मानसिकता के तहत इन सभी तथ्यों को दरकिनार करते हुए, संत रविदास जी के इस मंदिर को तोड़कर करोड़ों दलितों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

उन्होंने कहा कि 21 अगस्त को जो दलित समुदाय के लोगों ने मंदिर तोड़े जाने के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, भाजपा ने सैकड़ों की तादात में पुलिसकर्मी लगाकर प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज करवाई और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे दलित समुदाय के लोगों पर झूठे केस लगा कर उन्हें जेल में बंद करा दिया। उन्होंने बताया कि कई लोगों पर तो इस तरह के केस लगाए गए हैं कि जिसमें 5 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। आंदोलनकारियों पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि उनकी जमानत तक नही हो पा रही है।

अजय दत्त ने कहा कि जब दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि वह केवल मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित कर दे दिल्ली सरकार उस पर संत रविदास जी का भव्य मंदिर बनाएगी। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी जी से अनुरोध किया है कि संत रविदास जी के मंदिर बनाने के लिए जमीन का आवंटन केंद्र सरकार द्वारा कर दिया जाए उसके बावजूद भी केंद्र सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा दलित विरोधी है।

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