
Virender Sehwag का भगोड़ा भाई गिरफ्तार, जानें किस जुर्म में चंडीगढ़ पुलिस को थी तलाश?
Virender Sehwag News: वीरेंद्र सहवाग के घर से एक बुरी खबर आ रही है। दरअसल, उनके भाई को पुलिस पकड़कर थाने ले गई है। उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ था और वह वांटेड लिस्ट में शामिल था। पुलिस को काफी समय से उसकी तलाश थी, जो अब पूरी हो गई।
Virender Sehwag Brother Arrest: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) के भाई विनोद सहवाग (Vinod Sehwag) को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। विनोद को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर मनीमाजरा थाने की टीम ने दबोचा और थाने लेकर आई।
विनोद सहवाग को अदालत ने भगोड़ा घोषित किया हुआ था और काफी समय से वह वांटेड था। चंडीगढ़ पुलिस उसकी तलाश में थी। पकड़ते ही पुलिस ने विनोद को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। अदालत में आज ही विनोद की जमानत याचिका पर भी सुनवाई हुई।
जमानत का विरोध करते हुए पुलिस ने दलील दी कि उसने पहले ही अदालत के आदेशों की अवहेलना की है तथा यदि उसे जमानत दी गई तो वह जमानत की अवधि से पहले ही भाग सकता है तथा वही अपराध दोहरा सकता है। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए मामले की सुनवाई 10 मार्च तक स्थगित कर दी।
7 करोड़ के चेक बाउंस का विवाद
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, विनोद सहवाग को 7 करोड़ रुपये के चेक बाउंस मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में 2 साल पहले FIR दर्ज हुई थी। सेक्टर 12 पंचकूला निवासी और श्री नैना प्लास्टिक्स इंक, खटा बद्दी के मालिक कृष्ण मोहन खन्ना की शिकायत पर FIR दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता के वकील विकास सागर ने बताया कि उनकी कंपनी से विनोद सहवाग की जाल्टा कंपनी ने 7 करोड़ रुपये का माल लिया था। उसकी पेमेंट साल 2018 में एक-एक करोड़ के 7 चेक देकर की गई थी, लेकिन यह चेक बाउंस हो गए थे। 2 महीने बाद भी चेक क्लीयर नहीं हुए तो कंपनी को लीगल नोटिस देकर 15 दिन में पेमेंट क्लीयर करने का कहा गया, लेकिन कंपनी ने पेमेंट नहीं की तो उन्होंने चेक बाउंस होने का केस दर्ज करा दिया।
केस में तीनों डायरेक्टर हैं आरोपी
रिपोर्ट के अनुसार, विनोद सहवाग मेसर्स जाल्टा फूड बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्ट है। उसके 2 पार्टनर विष्णु मित्तल और सुधीर मल्होत्रा हैं। 25 सितंबर 2023 को तीनों के खिलाफ मनीमाजरा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 174-ए (CRPC की धारा 82 के तहत गैर-उपस्थिति) के तहत मामला दर्ज किया गया था। लोअर कोर्ट ने तीनों डायरेक्टर्स विनोद, विष्णु और सुधीर को बतौर आरोपी कोर्ट में पेश होने के लिए समन भेजा।
उन्होंने कोर्ट के आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में रिवीजन पिटीशन फाइल की, जिसमें उन्हें आरोपी बनाए जाने के फैसले का गलत बताया। उन्होंने दलील दी कि वे न तो जाल्टा कंपनी के डायरेक्टर हैं और न ही कर्मचारी हैं। विनोद के वकील ने जमानत अर्जी में कहा कि वह जानबूझकर अदालत की कार्रवाई से अनुपस्थित नहीं हुए, बल्कि उनका इस केस से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए वे अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।