उपराष्ट्रपति नायडू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी
नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान को याद किया।
नायडू ने महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट और शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट जाकर दोनों नेताओं की समाधि पर पुष्प अर्पित किए।
उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा के मूल्यों पर आधारित संघर्ष का नेतृत्व किया। अहिंसा के उनके सिद्धांत शांति, सद्भाव और वैश्विक भाईचारे के लिए भारत व विश्व के अन्य देशों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ ‘मानवता की महानता सिर्फ मानव होने में नहीं बल्कि मानवीय होने में है।’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर मानवता को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले विश्वगुरु की पावन स्मृति को कृतज्ञ प्रणाम करता हूं।’’
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर देशवासियों से ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘स्वच्छता स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण है’। आज ‘स्वच्छ भारत दिवस’ के अवसर पर मेरा सभी से आग्रह है कि स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का अंग बनायें… इसे एक जन-आंदोलन बनायें।’’
गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में दो अक्टूबर 1869 में हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद कराने की लड़ाई का उन्होंने नेतृत्व किया। अहिंसक विरोध का उनका सिखाया हुआ सबक आज भी पूरी दुनिया में सम्मान के साथ याद किया जाता है।
शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए एक अन्य ट्वीट में नायडू ने कहा, ‘‘देश के सामर्थ्य को ‘जय जवान, जय किसान’ का अमर मंत्र देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उनकी सादगी, राष्ट्रनिष्ठा और संकल्प शक्ति को विनम्र नमन करता हूं।’’
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दो अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। शास्त्री ने ही ‘‘जय जवान, जय किसान’’ का नारा दिया था। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1966 में ‘‘भारत रत्न’’ से सम्मानित किया गया।
शास्त्री को उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिए आज भी पूरा देश श्रद्धापूर्वक याद करता है।