छपरा में जहरीली शराब से अब तक 39 लोगों की मौत हो गई है. संदिग्ध परस्थिति में मौत मामले में सबसे ज्यादा मशरख प्रभावित है. जहां अभी भी लगातार मशरख अस्पताल में मरीजों के आने और रेफर होने का सिलसिला जारी है. उधर, इस मामले पर सड़क से सदन तक सियासत तेज हो गई है. छपरा में जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. अब तक संदिग्ध हालत में 39 लोगों को जहरीली शराब ने मौत की आगोश में ले लिया है. इसमें सबसे ज्यादा मौत की खबर मशरख, इसुआपुर, अमनौर और मढौरा में हुई है. वहीं, अब तक 26 शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है. जिसकी तस्दीक प्रशासनिक अधिकारियों ने कर दी है.
उधर जहरीली शराब से मौत पर विपक्ष हमलावर है. इसी को लेकर विधानसभा के अंदर और बाहर विपक्ष का हंगामा देखने को मिला. वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी पर सख्त लहजे में कहा कि जो पीएगा वो मरेगा ही. वहीं, सत्ता से बेदखल हुई बीजेपी इस मौके को पूरी तरह से भूनाने में लगी है और नीतीश सरकार के खिलाफ हमला बोलने का कोई भी मौका नहीं चूक रही है.
वहीं, बिहार सरकार को समर्थन दे रही भाकपा माले भी इस मामले पर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. आलम ये है कि भाकपा माले के विधायक जहरीली शराब से हुई मौत को आपदा बता रहे हैं. वहीं, बिहार के छपरा में जहरीली शराब पीने से हुई दर्जनों मृत्यु पर प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुख व्यक्त किया और शराबबंदी को एक विफल योजना बनाते हुए इसे 48 घंटे के भीतर रद्द करने की मांग की. इस दौरान उन्होंने भाजपा, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तीनों पर निशाना साधा और सबको शराबबंदी की विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया.
वहीं, बात करें छपरा में हुए जहरीली शराबकांड की तो मौत के मामले में सबसे ज्यादा मशरख प्रभावित है. जिसको देखते हुए मशरख में बाकी अस्पतालों से भी डॉक्टरों की तैनाती की गई है. ताकि ज्यादा लोगों को प्रभावित होने से बचाया जा सके.
वहीं, मशरख प्रखंड के बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत कुमार सिंह का कहना है कि एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और 4 की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है. मुखिया जी का कहना है कि प्रशासन की मिलीभगत से खुलेआम शराब की बिक्री होती है. कई बार इन लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी, लेकिन शराब बेचने वाले अपने काम में लगे रहे. मुखिया जी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी फेल है यही कारण है कि इस तरीके की घटना बार-बार सामने आ रही है