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महाराष्ट्र सीरियल किलर सिस्टर्स कौन? जिन्हें 9 बच्चों की हत्या में मिली फांसी, उम्रकैद में बदली

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महाराष्ट्र सीरियल किलर सिस्टर्स कौन? जिन्हें 9 बच्चों की हत्या में मिली फांसी, उम्रकैद में बदली

मासूम बच्चों को बेरहमी से मारने वाली सीमा गावित और रेणुका शिंदे कौन हैं जिन्होंने फरलो के लिए याचिका दायर की थी। महाराष्ट्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से इस याचिका का विरोध किया। आइए दोनों किलर बहनों के बारे में डिटेल से जानते हैं।

Sister Serial Killer: महाराष्ट्र सरकार ने कई बच्चों के अपहरण और 9 मासूम बच्चों की हत्या के लिए दोषी सीमा गावित और उसकी बहन रेणुका शिंदे की फरोल याचिका का विरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार ने उनके अपराधों की गंभीरता और सुरक्षा का हवाला देते हुए उनकी रिहाई का विरोध किया है। साल 2001 में दोनों महिलाओं को इस अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन साल 2022 में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। आइए उन दोनों बहनों के बारे में जानते हैं कि कौन हैं वो जिनके मासूमों को बेदर्दी से मारने में हाथ भी नहीं कांपे?

कौन हैं सीमा गावित और बहन रेणुका शिंदे?

औरत को ममता की मूरत कहा जाता है। लेकिन भारतीय क्राइम की हिस्ट्री में दो औरतें ऐसी हैं जिन्होंने हैवानियत की हदें पार करते हुए 9 मासूम बच्चों को बेदर्दी से मार डाला। अंजनाबाई गावित अपनी दो बेटियां रेणुका शिंदे (उर्फ रिंकू ) और सीमा गावित (उर्फ देवकी) के साथ पुणे में किराए के घर में रहती थी। ये तीनों महिलाएं हर पूजा समारोह या अन्य बड़े आयोजनों में जाती थी और वहां से कीमती सामान चुराती थीं।

कैसे हुई छोटे बच्चों की किडनैपिंग की शुरुआत

रेणुका गावित शादीशुदा थी और वो जो चोरी करती थी उसमें उनके ससुराल वाले भी साथ देते थे। 1990 में रेणुका अपने छोटे बच्चे के साथ मंदिर गई और वहां एक महिला का पर्स छीनने की कोशिश करने लगी लेकिन पकड़ी गई। हालांकि छोटे बच्चे को साथ देख उसे छोड़ दिया गया। फिर वहीं से शुरुआत हुई बच्चों की किडनैपिंग की शुरुआत और वो अलग-अलग बच्चों का अपहरण कर उन्हें अपने साथ ले जाने लगीं ताकि बच सकें।

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13 बच्चे किए किडनैप और 9 की हत्या

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों महिलाओं का साल 1990 से 1996 तक आतंक था। वो महिलाएं 5 से 13 साल तक के बच्चों का अपहरण करतीं और उन्हें चोरी को अंजाम देने के लिए ले जाती थीं। महिलाओं ने 13 बच्चों का अपहरण किया और उनमें से 9 बच्चों की बेरहमी से हत्या कर दी और उन्हें अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया गया। 1996 में दोनों बहनें पुलिस के हत्थे चढ़ीं और उन्होंने अपने सारे जुर्म कबूल किए।

फरोल के लिए किया था किलर बहनों ने आवेदन

दोनों बहनों के दोष सिद्ध होने पर उन्हें मौत की सजा मिली लेकिन फिर साल 2022 में उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। जनवरी 2023 में उन बहनों ने 28 दिन की रिहाई के लिए फरलो के लिए आवेदन किया था। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई है और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उनकी फरोल की याचिका को खारिज करने के लिए कहा।

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