बिहार BJP में बड़े बदलाव की तैयारी, सम्राट चौधरी पर टिकी हैं सबकी निगाहें
बिहार बीजेपी में बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है. सम्राट चौधरी के नेतृत्व में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के बाद संगठन में सुधार और जातीय समीकरण को दुरुस्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 समाप्त हो चुका है और बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की है. अब बिहार बीजेपी अगले साल (2025) होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. इस बीच, बिहार बीजेपी में बड़े बदलाव की चर्चा जोर पकड़ रही है. वहीं बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू है. ऐसे में नजरें अब सम्राट चौधरी पर टिक गई हैं. वर्तमान में सम्राट चौधरी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री भी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को सरकार चलाने का जनादेश मिला था, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के महागठबंधन में जाने के बाद बीजेपी सरकार से बाहर हो गई थी.
सम्राट चौधरी की नेतृत्व में परिवर्तन
आपको बता दें कि पिछले साल मार्च में जब बीजेपी को जेडीयू और आरजेडी से एक साथ लड़ने की चुनौती का सामना करना पड़ा, तब सम्राट चौधरी को प्रदेश के नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके जरिए बीजेपी ने बड़े कुशवाहा समुदाय को खुश करने का प्रयास किया. सम्राट चौधरी के माध्यम से बीजेपी की नजर कोइरी और कुर्मी वोट बैंक पर थी लेकिन राजनीतिक समीकरण बदलते ही नीतीश कुमार फिर से एनडीए के साथ आ गए और एनडीए की सरकार बनी. इस गठबंधन के तहत सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
लोकसभा चुनाव के बाद संभावित बदलाव
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी संगठन में बदलाव कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी, लेकिन चुनाव के बाद अब बड़े बदलाव की तैयारी है. आरजेडी जहां कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश में जुटी है, वहीं बीजेपी अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है.
संभावित नाम और चर्चाएं
इसके अलावा आपको बता दें कि सूत्रों के अनुसार, बीजेपी सभी पहलुओं पर विचार कर रही है और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बदलने पर भी विचार कर रही है. कई नामों की चर्चा हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी सम्राट चौधरी को अध्यक्ष बनाए रख कर उपमुख्यमंत्री पद पर बदलाव कर सकती है. हालांकि, अभी कुछ भी निश्चित नहीं है. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलने के बाद बीजेपी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. ऐसे में प्रदेश बीजेपी का कोई नया अध्यक्ष मिलना संभव है.