मुंबई,27 मार्च कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये सरकार के साथ कदमताल करते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों का कर्ज सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कमी करने सहित शुक्रवार को कई बड़े कदम उठाये। अप्रत्याशित और लीक से हट कर किए गए इन निर्णयों में आरबीआई ने बैंकों को कर्ज की मासिक किस्तों (ईएमआई) की वसूली में ग्राहकों को तीन महीने की मोहलत देने की छूट भी दी है।
मौजूदा संकट को देखते हुए पूर्व घोषित कार्यक्रम से एक सप्ताह पहले पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने कार्य शील पूंजी पर ब्याज भुगतान भी तीन महीने के टालने की बैंकों को अनुमति दी। वहीं नकदी बढ़ाने के विभिन्न उपायों के जरिये बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जारी करने के कई उपायों की भी घोषणा की । यह अतिरिक्त नकदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2 प्रतिशत है।
शीर्ष बैंक ने यह भी कहा कि वह जबतक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये और कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव से निपटने के लिये कदम उठाने की जरूरत होगी, वह नरम रुख बनाये रखेगी।
केंद्रीय बैंक ने बैंकों की फौरी नकदी की जरूरत पर लगने वाले ब्याज यानी रेपो दर 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। अबतक यह 5.15 प्रतिशत थी। वहीं नकदी बढ़ाने के लिये नकद अरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक प्रतिशत कम कर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। सीआरआर के तहत बैंकों को जमा राशि का एक हिस्सा रिजर्व के रूप में अलग रखना पड़ता है।
नीतिगत दर यानी रेपो में यह कटौती जनवरी 2009 के बाद सबसे बड़ी है। इस कटौती के बाद रेपो दर अक्टूबर 2004 के पश्चात निचले स्तर पर आ गयी है। रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कटौती कर 4 प्रतिशत पर लाया गया है। इससे बैंक आरबीआई के पास पैसा रखने को लेकर उदासीन होंगे।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार मासिक किस्त से जुड़े सभी प्रकार के कर्ज पर ईएमआई तीन महीने रोके जाने की अनुमति वाणिज्यिक बैंकों को दी गयी है।
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2019 में लगातार पांच बार में रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी। हालांकि उच्च मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए दिसंबर से रेपो दर को यथावत रखा गया था।
हालांकि इस बार मौजूदा हालात को देखते हुए आरबीआई ने देश की आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ मुद्रास्फुीति के बारे में कोई परिदृश्य जारी नहीं किया।
दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये जनवरी-मार्च तिमाही में 4.7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि की जरूरत है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को देखते हुए ह अब मुश्किल लगता है।
इससे एक दिन पहले ही कोरोना वायरस महामारी के कारण 21 दिन के ‘लॉकडाउन’ (देश व्यापी बंदी) से निपटने के लिये सरकार ने गरीबों और जरूरमंदों के के लिये 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। इसमें अगले तीन महीने तक गरीबों को राशन में पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो कोई भी दाल मुफ्त देने की बात शामिल है। इसके अलावा जनधन खाता धारक महिलाओं को उनके खाते में तीन महीने में 1,500 रुपये नकद और जिन परिवारों को निशुल्क रसोई गैस दी गई उन्हें अगले तीन महीने एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया गया है।
इस देशव्यापी बंद से कारखाने और संयंत्र ठप हो गये हैं। इसके साथ अस्थायी तौर पर हजारों लोग बेरोजगार हुए हैं।