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‘5 सूत्री फॉर्मूला’ दिलाएगा प्रशांत किशोर को बिहार की सत्ता? ‘बदलाव’ रैली में चुनावी एजेंडे का करेंगे खुलासा – PRASHANT KISHOR

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‘5 सूत्री फॉर्मूला’ दिलाएगा प्रशांत किशोर को बिहार की सत्ता? ‘बदलाव’ रैली में चुनावी एजेंडे का करेंगे खुलासा – PRASHANT KISHOR

बिहार में बदलाव के लिए प्रशांत किशोर ने खास रणनीति बनाई है. 5 सूत्री फॉर्मूले पर वह काम कर रहे हैं.

पटना: चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर 11 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में ‘बिहार बदलाव रैली’ का आयोजन करने जा रहे हैं. इसको लेकर तैयारी जोर-शोर से चल रही है. बिहार घूमने के बाद गांधी मैदान से वह विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकेंगे. शुक्रवार को एक तरह से पॉलिटिकल रोड मैप लोगों के बीच रिलीज करेंगे. अपनी रैली के जरिए बीजेपी, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को चुनौती पेश करने के साथ-साथ शुक्रवार को होने वाली इस रैली से पॉलिटिकल मैसेज देने की भी कोशिश करेंगे.

बदलाव के लिए प्रशांत किशोर की रैली: चुनावी रणनीतिकार की लंबे समय तक भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर गांधी मैदान से अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करेंगे और चुनाव के लिए क्या उनकी रणनीति रहेगी, उसका भी खुलासा करेंगे. प्रशांत किशोर ने पहले ही 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. बिहार में व्यवस्था बदलाव की बात भी वह लगातार कर रहे हैं. सवाल है कि आखिर यह व्यवस्था बदलाव कैसे और क्या होगा? सियासी जानकारों के मुताबिक भीड़ से उनको अपनी ताकत का भी पता चल जाएगा.

पहले की रैलियों से होगी तुलना: पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान जेपी आंदोलन से लेकर कई रैलियों का गवाह है. लालू यादव की गरीब रैली हो, गरीब रैला और तेल पिलावन लाठी घुमावन रैली खूब चर्चा में रही है. अब प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज बिहार में बदलाव के लिए रैली करने जा रही है. उन्होंने कई राज्यों में विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनाने में कई दलों को मदद की है. बिहार में भी 2015 में नीतीश और लालू के लिए काम कर चुके हैं. पिछले ढाई साल से भी अधिक समय से बिहार की यात्रा करने के बाद अब रैली करने जा रहे हैं.

रैली से ताकत का पता चलेगा: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है कि गांधी मैदान में आने वाली भीड़ किसी भी पार्टी की ताकत का पता लगाने का लिटमस टेस्ट माना जाता है. प्रशांत किशोर के लिए पहली रैली होगी. हालांकि वह लगातार जनता के बीच में हैं और कार्यक्रम भी कर रहे हैं. प्रशांत किशोर के निशाने पर न केवल नीतीश कुमार हैं, बल्कि तेजस्वी यादव भी हैं. इसलिए बिहार के विकास और युवाओं को नौकरी रोजगार जैसे मुद्दे उठा रहे हैं.

“प्रशांत किशोर पटना में बापू सभागार और मिलर स्कूल में कार्यक्रम कर चुके हैं लेकिन गांधी मैदान में रैली करना अलग बात है. ऐसे में प्रशांत किशोर के लिए भी यह एक परीक्षा की घड़ी है. हर जिले से लोगों को ला भी रहे हैं और रणनीति बनाने में तो माहिर हैं ही. इसलिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे. गांधी मैदान की रैली से विधानसभा चुनाव में उनके चुनावी मैनेजमेंट काफी पता चलेगा.”- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

10 लाख से अधिक भीड़ जुटाने का दावा: प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के उपाध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललन जी यादव का कहना है कि प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 से पदयात्रा शुरू की है और लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है. बिहार के लोगों को बदलाव के लिए विकल्प दिया है. बिहार बदलाव रैली से प्रशांत किशोर की लोकप्रियता भी दिखेगी. वहीं, प्रवक्ता सैयद मसीह उद्दीन का भी दावा है कि प्रशांत किशोर के नेतृत्व में बिहार में बदलाव जरूर होगा.

“बिहार में बदलाव के लिए हम लोग काम कर रहे हैं. बिहार में पिछले 35 सालों से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का शासन है लेकिन बिहार की स्थिति आज भी नहीं बदली है. पलायन का दर्द बिहार के लोग झेल रहे हैं. जन सुराज बदलाव के लिए काम कर रहा है और गांधी मैदान में अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी. 10 लाख से अधिक लोग आएंगे. बिहार के 14 करोड़ लोगों को हम लोग विकल्प देने जा रहे हैं.”- सैयद मसीह उद्दीन, प्रवक्ता, जन सुराज पार्टी

5 सूत्री एजेंडे से मिलेगी सत्ता?: प्रशांत किशोर न केवल बिहार के ज्वलंत मुद्दे उठा रहे हैं, बल्कि सॉल्यूशन पर भी बात कर रहे हैं. उनका दावा है कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो बिहार में बदलाव कर के दिखाएंगे. पीके बिहार बदलने के लिए 5 सूत्री एजेंडे पर काम कर रहे हैं. इसके तहत वह शिक्षा के स्तर में सुधार, पलायन रोकने और रोजगार पर जोर देने की बात कर रहे हैं. इसके अलावे बुजुर्गों को सम्मानजनक पेंशन देने और महिला सशक्तिकरण पर फोकस रखना चाहते हैं. वहीं किसानों को आर्थिक ताकत देने पर भी वह अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहेंगे.

2-3 साल से बिहार में एक्टिव: प्रशांत किशोर ढाई साल से ज्यादा वक्त से बिहार में सक्रिय हैं. 2 अक्टूबर 2022 में उन्होंने जन सुराज पदयात्रा की शुरुआत की थी. 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज पार्टी बनाने का फैसला लिया और 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी. एक करोड़ संस्थापक सदस्य बनाने पर भी लगातार जोर दिया गया.

क्या है पीके का प्लान?: विधानसभा चुनाव में उन्होंने 75 सीट अति पिछड़ों, 40 सीट महिलाओं और 40 सीट मुसलमानों को देने की घोषणा की है. सरकार बनने पर 60 साल से अधिक उम्र के महिला-पुरुष को 2000 पेंशन देने और पलायन करने और बेरोजगार युवाओं को 15000 रुपये देने का वादा किया है. एक साल के अंदर बेरोजगारों को बिहार में नौकरी उपलब्ध कराने का भी वादा किया है.

चुनावी राजनीति में चुनौती बड़ी: प्रशांत किशोर के साथ लोग तो खूब जुड़ रहे हैं लेकिन बहुत मजबूत उम्मीदवारों की अभी भी कमी है, जबकि कई बड़े नेता पार्टी से खुद को अलग भी कर चुके हैं. जन सुराज पार्टी इस बार सभी 243 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. 2024 में 4 विधानसभा सीट पर उम्मीदवार उतारा था लेकिन सभी सीटों पर शिकस्त मिली. वहीं, 2024 में विधान परिषद की एक सीट पर उपचुनाव में भी सफलता नहीं मिला. बीपीएससी उम्मीदवार के पक्ष में गांधी मैदान में अनशन के कारण युवाओं का समर्थन जरूर मिला है लेकिन चुनाव में कितना साथ मिलेगा, यह कहना मुश्किल है.

बीपीएससी अभ्यर्थियों के पक्ष में अनशन करते प्रशांत किशोर 

क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि सबसे पहले प्रशांत किशोर ने विधानसभा उपचुनाव और विधान परिषद उपचुनाव में उम्मीदवार उतारे थे और अब विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में इस रैली के माध्यम से वह अपनी ताकत दिखाना चाहेंगे. प्रशांत किशोर ने जो संकल्प लिए हैं और जिस तरह के मुद्दे और नारे दिए हैं, वह बदलाव की दिशा में प्रयास दिख रहे हैं लेकिन उनके कैंडिडेट बहुत दमदार नहीं दिख रहे हैं. रैली के माध्यम से ताकत दिखाने के साथ-साथ वह मुद्दों पर भी फोकस करेंगे.

“प्रशांत किशोर की यह नई भूमिका है. गांधी मैदान में पहली बार रैली करने जा रहे हैं तो जिन मुद्दों को लेकर प्रशांत किशोर चले थे, उसकी स्वीकार्यता और मजबूत कैसे हो, गांधी मैदान से एक मैसेज को देने की कोशिश करेंगे. अब इसका कितना असर होगा या तो मिलियन डॉलर सवाल है.”- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

ईद पर आयोजित कार्यक्रम में प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर का होगा लिटमस टेस्ट: बिहार की जातिगत राजनीति में प्रशांत किशोर कितना सफल हो पाएंगे, यह तो विधानसभा चुनाव के समय ही पता चलेगा लेकिन एक समय प्रशांत किशोर को बिहार का अरविंद केजरीवाल भी कहा जाने लगा था. यही नहीं बीजेपी की बी टीम का भी विपक्षी दलों की तरफ से आरोप लगाया जाता रहा है. ऐसे में प्रशांत किशोर के लिए गांधी मैदान से बिहार की 14 करोड़ जनता और 7 करोड़ से अधिक वोटरों को एक मैसेज देने की कोशिश होगी. गांधी मैदान में आने वाली भीड़ प्रशांत किशोर की ताकत का लिटमस टेस्ट भी होगा.

 

 

 

 

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