
एक शिक्षक के भरोसे 144 छात्र, टीचर ने दी ‘छुट्टी की एप्लिकेश.. तो खुली बिहार के शिक्षा व्यवस्था की पोल – POOR EDUCATION SYSTEM
बिहार में सरकारी स्कूल का हाल बेहाल है. यहां एक ही क्लास रूम में बैठकर चार-चार कक्षाओं के छात्र पढ़ने को मजबूर हैं. पढ़ें खबर.
नालंदा: बिहार में सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था देना का दावा करती है. लेकिन हकीकत जिले के एक सरकारी स्कूल को देखकर समझा जा सकता है. नालंदा का एक ऐसा विद्यालय जहां एक शिक्षक के भरोसे 144 बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है. यह सिलसिला कई सालों से चला आ रहा है. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब स्कूल के शिक्षक ने विभाग से एक दिन की छुट्टी के लिए आवेदन दिया. जिसे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मंजूर तो किया लेकिन एक दिन के लिए दूसरे स्कूल के शिक्षक को प्रतिनियुक्त करना पड़ा.
एक शिक्षक के भरोसे 144 बच्चें: मामला सरमेरा प्रखंड के गोवा काजीचक प्राथमिक विद्यालय का है. यहां के शिक्षक अरविंद प्रसाद यादव ने बताया कि ”यह बात सच है, कि एक ही शिक्षक के भरोसे 144 बच्चों की जिम्मेदारी पर है. जिसमें प्रतिदिन करीब 80 से 100 बच्चे स्कूल आते हैं. यहां पहली कक्षा से 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई कराई जाती है. शिक्षक के अभाव में सभी बच्चों को एक ही क्लास में बैठाकर पढ़ाया जाता है.”
शिक्षक की कमी से बदहाल हुआ स्कूल: अरविंद प्रसाद यादव 2003 में शिक्षा मित्र के तौर पर बहाल हुए. वो 2005 में गोवा काजीचक में पदस्थापित किए गए और 2006 में परमानेंट शिक्षक बने. वो तब से अब तक इसी स्कूल में कार्यरत हैं. जब वे यहां आए थे तब 5 शिक्षक थे, लेकिन कुछ पहले वाले शिक्षक अपना कार्यकाल समाप्त कर सेवानिवृत्त हो गए. उसके बाद से स्कूल में शिक्षक की कमी आ गई. कई बार शिक्षकों की मांग के लिए विभाग को आवेदन और मौखिक रूप से कहा गया लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है.

दो साल से नहीं बहाल हुआ एक भी शिक्षक: शिक्षक अरविंद प्रसाद यादव 2021 से अब तक अकेले स्कूल का संचालन कर रहे हैं. इस बीच 2022-23 में नियोजन इकाई से बहाल एक शिक्षिका प्रतिनियुक्त भी की गई तो कुछ महीने में ही BPSC के जरिए इंटरमीडिएट शिक्षिका बनी और बेतिया जिला प्रतिनियुक्त होकर चली गई. स्कूल के शिक्षक ने बताया कि पड़ोस के गांव में कन्या मध्य विद्यालय है. जहां 70 बच्चों का नामांकन है. वहां 4 शिक्षक हैं और यहां एक ही है. इससे बच्चों के पठन-पाठन का कार्य बाधित होता है.
“हमारी मांग है कि यहां कम से कम 3 शिक्षक बहाल किए जाएं. यह सरमेरा ब्लॉक में टॉप प्राइमरी स्कूल माना जाता है. यहां बच्चे जमीन पर या बोरी बिछाकर बैठते हैं, यहां अबतक बेंच-डेस्क नहीं दिया गया है. मैं अकेला चार कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाता हूं” – अरविंद प्रसाद यादव, शिक्षक
क्या कहते हैं स्कूल छात्र: स्कूल के छात्र श्याम बिहारी कुमार और सोनाली कुमारी की मानें तो शिक्षक अरविंद प्रसाद यादव स्कूल में उन लोगों को काफी बढ़िया पढ़ाते हैं. मध्यान भोजन के साथ कॉपी-किताब भी समय पर मिलता है, लेकिन खाने की गुणवत्ता और मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं मिलता है. जो मिलता है वो भी आधा पेट ही मिलता है. एक महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन अंडा नहीं दिया गया है. दोनों बच्चे आगे पढ़ लिखकर पुलिस बनना चाहते हैं.
“सर के नहीं रहने से बहुत दिक्कत होती है. हम लोगों को सर सभी विषय पढ़ाते हैं. कभी सर आते हैं तो कभी नहीं या देर से भी पहुंचते हैं. उनके नहीं रहने पर पढ़ाई नहीं हो पाती है.” – श्याम बिहारी कुमार, छात्र
क्या कहते हैं शिक्षा पदाधिकारी?: वहीं सरमेरा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी दिलीप कुमार ने बताया कि जल्द ही वहां एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. उसके लिए जिला शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी दे दी गई है. वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार ने बताया कि “मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है, पता कर वहां जल्द ही शिक्षक प्रतिनियुक्त कराता हूं.”