11,000 फ़ीट की उचाई पर सिंधू नदी किनारे बसे नीमू में प्रधानमंत्री ने घायल सैनिकों से भी की अस्पताल में मुलाक़ात, रक्षा प्रमुख और सेना प्रमुख भी रहे मौजूद
आज सुबह अचानक सैनिकों से मिलने लद्दाख पहुंचे प्रधानमंत्री ने सैनिकों को सम्बोधित करते हुए कहा की देश के दुश्मन, देश के आग और रोष से वाकिफ़ हो चुके है। सैनिकों को “मिट्टी के वीर” की संज्ञा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कमज़ोर कभी शांति नहीं ला सकते, शान्ति हमेशा बहादुर लाते है।”
बिना चीन का नाम लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कब्ज़ा करने वाली नीति का युग खत्म हो चूका है, ये युग विकास का है। इतिहास गवाह है की विस्तारवादी बल हमेशा या तो हारी है या उसे वापस लौटना पड़ा है।”
सेना के जवानो को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्व भर में रह रहे हर एक भारतीय और सबसे एहम भारत में रह रहे नागरिकों को पूरा भरोसा है की आप सभी देश को मजबूत और सुरक्षित रख सकते है। आपका साहस इन पहाड़ों, जहाँ हम अभी है, इनसे भी काफी ऊँचा है। आपकी भुजाएं इन चट्टानों से भी मजबूत है। आपका आत्मविश्वास, दृढ निश्चय और आपका यकीन इन चट्टानों से भी ज्यादा अचल है।”
15 जून को हुए गलवान घाटी में चीन से मुठभेड़ के बाद, प्रधानमंत्री के इस दौरे को सेना के मनोबल बढ़ाने और चीन को एक कड़ा सन्देश भेजने के तौर पर देखा जा रहा है। बीते महीने हुए मुठभेड़ में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
प्रधानमंत्री के नीमू पहुंचते ही “वन्दे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारे लगने लगे। इस दौरे में प्रधानमंत्री के साथ रक्षा प्रमुख बिपिन रावत और सेना प्रमुख एम एम नरवणे भी मौजूद थे।
नीमू में सैनिको से मिलने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून को हुए मुठभेड़ में घायल सैनिकों से मिलने अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में प्रधानमंत्री ने घायल सैनिकों से मुलाक़ात की और उनका हौसला अफ़ज़ाई किया।
प्रधानमंत्री ने घायल सैनिकों को सम्बोधित करते हुए कहा, “आपके शौर्य और पराक्रम को नमन। मैं यहाँ से एक नयी ऊर्जा लेकर जा रहा हूँ।”
प्रधानमंत्री सैनिकों से विदा लेने से पहले उनके जल्द से जल्द ठीक होने की कामना की।