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पूर्व IPS-कुलपति, राम मंदिर ट्रस्टी, किशोर कुणाल कौन? जिनका हार्ट अटैक से हुआ निधन

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पूर्व IPS-कुलपति, राम मंदिर ट्रस्टी, किशोर कुणाल कौन? जिनका हार्ट अटैक से हुआ निधन

पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल का रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे वर्तमान में पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव थे। इससे पहले वे आईपीएस और कुलपति भी रह चुके थे।

Who is Kishore Kunal: पटना स्थित महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 74 साल के थे। आज सुबह उनको दिल का दौरा पड़ा, उसके बाद उन्हें महावीर हाॅस्पिटल ले जाया गया, जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने शोक जताया है।

किशोर कुणाल ने अपनी स्कूलिंग मुजफ्फरपुर के बरुराज गांव से की। इसके बाद में उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया। वे 1972 में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी नियुक्त हुए। वे आणंद के पुलिस अधीक्षक नियुक्त हुए इसके बाद 1978 में वे अहमदाबाद के डीसीपी बने। 1983 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर पटना में तैनात हुए। कुणाल 1990 से 1994 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय में बतौर ओएसडी तैनात रहे। कुणाल किशोर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के समधी भी थे। उनके बेटे सायण कुणाल का विवाह बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और हाल ही में सांसद बनी शांभवी चौधरी से हुआ है।

धार्मिक कार्यों में शामिल रहते थे

आईपीएस की सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद कुणाल सामाजिक कार्याें से जुड़ गए। हालांकि वे पहले भी धार्मिक कार्यों में शामिल थे। साल 2000 में रिटायर होने के बाद वे संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए। 2004 तक वे इस पद पर रहे। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने। कुणाल अभी भी इस पद पर थे। पटना के चर्चित महावीर मंदिर न्यास के सचिव थे।

किताब लिख खोले कई राज

किशोर कुणाल ने कई किताबें लिखी, जिनमें से एक है दमन तक्षकों का। बिहार में चर्चित बाॅबी हत्याकांड की जांच भी उन्होंने की। इस मामले में जब 15 दिनों की जांच के बाद भी उनके हाथ में कुछ भी नहीं लगा तो वे पटना के महावीर मंदिर आकर बैठ गए। इसके बाद उन्हें 3 दिन में सफलता मिली। इस मामले में कई नेताओं ने राज खुलने के डर से 40 विधायक और 2 मंत्रियों ने मिलकर इस केस की जांच सीबीआई को दिलवा दी।

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