
नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने नए नक़्शे में भारत के तीन इलाकों को शामिल कर इसे नेपाली राष्ट्रवाद का मुद्दा बना दिया. लेकिन ऐसा लगता है कि नेपाल की जनता उसके इस प्रपंच को समझ चुकी है. जनता समझ रही है कि बेरोजगारी और कोरोना से निपटने में नाकाम ओली सरकार इन सब मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ने पर तुले हैं. सदियों से भारत और नेपाल के बीच रोटी और बेटी का संबंध है. इसलिए अब जनता नेपाल के नए नक़्शे के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर गई है.राजधानी काठमांडू और नेपाल के कई अन्य सहरों में लोग लॉकडाउन तोड़ कर सड़कों पर निकल आये और सरकार विरोधी प्रदर्शन करने लगे. इन प्रदर्शनों को लेकर केपी शर्मा ओली की सरकार अपने ही घर में घिरी हुई है. पीएम के तौर पर केपी शर्मा की लोकप्रियता तेजी से गिरती जा रही है. उनकी पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी भी चरम पर है. केपी ओली शर्मा सरकार पर ये भी आरोप लग रहा है कि कोरोना के खिलाफ जंग में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है. विपक्षी पार्टी सरकार से कोरोना से जंग में हुए खर्चों का हिसाब मांग रही है.इन सबको लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है इसलिए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने मीडिया के माध्यम से लोगों से प्रदर्शन रोकने की अपील की थी. उन्होंने नेपाल की जनता से अपील की कि ऐसे माहौल में जब नए नक़्शे को संवैधानिक दर्जा देने की तैयारी हो रही है तो जनता को प्रदर्शन नहीं करना चाहिए. इससे पूरी दुनिया में गलत सन्देश जाएगा.रिपोर्ट -विनय ठाकुर