मीडिया का काम जिम्मेदारी भरा पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान
प्रेस यानी मीडिया का काम बहुत ही जिम्मेदारी भरा हैं।मीडिया के हर कार्य के समाज पर अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव पड़ते हैं । लोकतंत्र अगर आज जिन्दा हैं तो इसमें पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान हैं।आज भले ही आप कुछ प्रिंट एवं टी.वी.चैनलों के उन्मादी कवरेज के कारण मीडिया के खिलाफ एक नजरिया बना ले,लेकिन आप यह कैसे भूल सकते हैं कि आज भी अनेकों पत्र-पत्रिका समूह सिर्फ सच को उजागर कर अपने धर्म का निर्वाह करते हुए आर्थिक मानसिक प्रताड़ना झेलना तो पसन्द करते हैं।लेकिन किसी अत्याचारी,भ्रष्टाचारी की चापलूसी करने के बजाय सदैव कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं।इकबाल की निम्न पंक्तियां मुझे याद आ रहा हैं।जिसमे कहाँ गया हैं कि –
तेज सा तलवार ,सादा सा कलम
बस यही दो ताकते हैं वेस या कम
एक हैं जंगी सुजात कर निशां
एक हैं इलमी लियाकत का निशां
आदमी की जिंदगी,दोंनो से हैं
कौम की ताबदगी, दोंनो से हैं
जो नहीं डरते,कलम की मार से
कलम होता हैं सर,उनका तलवार की धार से
जंग के मैदान में,राजी बनों.
मीडिया का काम तथा एक पत्रकार का सच्चा धर्म यही हैं कि वह आम जनता तक सही तथ्य पहुंचाये चाहे वह किसी भी कीमत पर हो।भारतीय पत्रकारिता विश्व की सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता में से एक हैं।भारतीय पत्रकारिता अगर सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता हैं तो यह संयोग से या किसी की दया से नहीं हैं बल्कि इसके लिए हम में से कई लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी हैं।इसके लिए कई मुकदमा लड़े गए, कई नौकरियां चली गई।पत्रकारों को लूटा गया,धमकाया गया,जेल भेजा गया और यहाँ तक कि उनकी हत्यायें भी की गई और यह भी सच हैं कि उनका मान सम्मान भी किया गया और उन्हें संसद तक मे भी भेजा गया।
पत्रकारों को जो कुछ भी मिला हैं वह साहस व लड़ाई से ही प्राप्त हुआ हैं।यहीं कारण हैं कि हम आज भी सत्ता को अपने मैदान में घुसपैठ करने और निरर्थक मूर्खतापूर्ण तरीकों से अपनी आज़ादी पर पाबंदी लगाने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।एक पत्रकार का काम राष्ट्र निर्माण करना नहीं बल्कि उसमें सहायता करना हैं।उसका काम जमीन से जुड़ा हैं।आम जनता तक सिर्फ सच्चाई पहुंचाना उसका धर्म हैं, चाहे वह किसी भी कीमत पर हो।सच से सत्ता नाराज हो सकती हैं, उसके निहित स्वार्थ प्रभावित हो सकते हैं।यहां तक कि सच्चाई से हम सबको धक्का लग सकता हैं।लेकिन यही तो पत्रकार का धर्म हैं।जैसे रन क्षेत्र में एक योद्धा का धर्म लड़ना होता हैं चाहे उसका कोई भी परिणाम हो।
आज पत्रकारिता पूरी तरह बदनाम होकर रह चुकी हैं और उसके अस्तित्व ख़तरे में हैं।मीडिया का सरोकार इस बात से कतई नहीं रहता हैं कि समाज एवं सरकार को दिशा दे सके,बल्कि उसकी दखल अंदाजी बाजार एवं भ्रष्टाचार पर होती हैं।ता कि उसका संगठन चंद ही महीनों में मालो माल होना चाहती हैं।पत्रकार खबरों के बाजीगर हैं, दलाली के लिए महशूर न हो।
पत्रकारिता एक मिशन हैं।उस मिशन के पीछे देश की सेवा और आम आदमी की आवाज़ बनकर पत्रकारिता के माध्यम से लोंगो के दिलो में सेवा भावना एवं समर्पण की परिभाषा गढ़ी जाती हैं।
वर्षो पहले मैं प्रदीप कुमार नायक , ” स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार ” ने जो जेहाद अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय,शोषण के खिलाफ छेड़ा था,वह आज भी जारी हैं।1857 से लेकर अब तक जिन योद्धाओं ने जंगे आज़ादी में कुर्बानी दी और आज़ादी के बाद भी राष्ट्र निर्माण में जिन्होंने अपने धर्म का निर्वाह करते हुए अपना योगदान दिया पत्रकार परिवार उन सभी को नत मस्तक हो अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हैं।
विभिन्न पत्र-पत्रिका एवं समाचार पत्र के माध्यम से हमने यहीं कहाँ हैं कि –
धरा बेच देंगे,गगन बेच देंगे,
चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे,
अगर सो गए,कलम के सिपाही,
वतन के सौदागर,वतन बेच देंगे,
हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि आज़ादी के 74 वर्षो बाद व स्वतंत्रता आंदोलन के 164 वर्षो बाद भी भारत अगर विश्व गुरु नहीं बन पाया हैं तो इसके लिए जो जिम्मेदार हैं, उन्हें देश द्रोही समझकर सजा देने व दिलाने के लिए हमे बिना किसी भेदभाव के आगे आना चाहिए।
पत्रकार जिस प्रकार कुछ अपवादों को छोड़कर सच के साथ चल रहे हैं उसी प्रकार कार्य पालिका,विधायिका व न्यायपालिका को भी अपने धर्म का निर्वाह करते हुए सच लिखने वाले पत्रकारों को न्याय के लिए आगे आना चाहिए और पत्रकारों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि आप सदैव ” सत्यमेव जयते ” के पथ पर चले और भारतीय संविधान के तहत जिन्हें राष्ट्र निर्माण की जिम्मेवारी सौपी गई हैं वे अपने धर्म का पालन करते हुए राष्ट्र निर्माण करें।
लेखक – स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं, समाचार पत्र एवं चैनल में अपनी योगदान दे रहे हैं।
मोबाइल – 8051650610