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कुमारी शैलजा में कितना दम, बगावत करके हुड्डा को दे पाएंगी मात? खट्टर का खुला ऑफर

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कुमारी शैलजा में कितना दम, बगावत करके हुड्डा को दे पाएंगी मात? खट्टर का खुला ऑफर

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रचार अभियान जोरों पर हैं। कांग्रेस और बीजेपी के स्थानीय नेता पूरा दमखम दिखा रहे हैं। इस बीच कांग्रेस सांसद और दलित नेता कुमारी शैलजा इन दिनों हरियाणा के चुनावी चकलस से दूर दिल्ली में हैं।

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी दल अब एक-दूसरे दल के बड़े नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं। इसकी मिसाल है कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और सांसद कुमारी शैलजा। कुमारी शैलजा को लेकर आज केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में दलित की बेटी का अपमान हो रहा है। वे अगर हमारे साथ आना चाहे तो आ सकती है। उनके इस बयान के बाद बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी बड़ा बयान दिया है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस उनके साथ ठीक नहीं कर रही है।

इनके अलावा हरियाणा बीजेपी के बड़े नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कुमारी शैलजा के साथ कांग्रेस अच्छा नहीं कर रही है। वहीं उनके बड़े भाई चंद्रमोहन, शैलजा को सीएम फेस बता चुके हैं। बता दें कि चंद्रमोहन शैलजा गुट के नेता हैं। इन दिनों शैलजा हरियाणा में हुड्डा खेमे से नाराज बताई जा रही हैं। वे 18 सितंबर को कांग्रेस के मैनिफेस्टो लाॅन्च करते समय भी नजर नहीं आई थी। बता दें कि हरियाणा के चुनावी शोरगुल से दूर शैलजा इन दिनों दिल्ली में हैं।

पिता-पुत्र के हाथ में प्रचार की कमान

उधर हरियाणा में कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान पिता-पुत्र की जोड़ी ने संभाल रखी है। रणदीप सुरजेवाला भी कैथल में बेटे की सीट तक ही सीमित हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा पर निर्भर है। कुमारी शैलजा का प्रचार नहीं करना और चुप्पी साधकर बैठना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। बता दें कि शैलजा दलित वर्ग से आती हैं और हरियाणा में वे कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। हरियाणा विधानसभा में 17 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं। वहीं शैलजा का प्रदेश की 21 सीटों पर सीधा प्रभाव है।

शैलजा कांग्रेस से क्यों नाराज हैं?

1.कुमारी शैलजा की नाराजगी की बड़ी वजह हुड्डा खेमे से तनातनी है। बता दें कि हरियाणा कांग्रेस में दो गुट बने हुए हैं। पहला गुट हुड्डा पिता-पुत्र का है। जबकि दूसरा गुट कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी का है। किरण चौधरी तो कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में आ गई। शैलजा के गुट में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी हैं। ऐसे में अगर गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है।

2.कुमारी शैलजा की टिकट वितरण में भी नहीं चली। शैलजा ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान से 35 सीटों की मांग की थीं, लेकिन हाईकमान ने हुड्डा समर्थकों को तवज्जो दी परिणाम ये हुआ कि 90 में से 72 सीटों पर हुड्डा समर्थक मैदान में हैं। वहीं शैलजा के खेमे को केवल 4 सीटें मिली। यहां तक शैलजा अपने करीबी अजय चौधरी को भी नारनौंद सीट से टिकट नहीं दिला पाई।

3.नारनौंद सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक ने कुमारी शैलजा पर जातिगत टिप्पणी की थी। मामले ने तूल पकड़ा तो जगह-जगह विरोध हुआ। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को बयान जारी करना पड़ा। ऐसे में अगर दलित वोटर्स इस टिप्पणी से नाराज हुआ तो कांग्रेस को रिजर्व सीटों पर हार मिल सकती है।

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