अंधेरी में दिखी उद्धव ठाकरे को रोशनी, मुश्किल वक्त में बूस्टर डोज; कैसे एकनाथ शिंदे को झटका
अंधेरी पूर्व सीट पर हुए उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की उम्मीदवार रितुजा लटके ने शानदार जीत ने सियासी समीकरण बिगाड़ दिए हैं। इससे उद्धव ठाकरे मजबूत होकर उभरते दिख रहे हैं, जिन्हें एकनाथ शिंदे की बगावत के चलते कमजोर माना जा रहा था। इसके अलावा जीत का अंतर एकनाथ शिंदे गुट के लिए झटका माना जा रहा है। खासतौर पर बीएमसी चुनाव से पहले मुंबई में विस्तार के उनके सपनों को झटका लगेगा। इस उपचुनाव में रितुजा लटके को 66,530 वोट मिले थे। ये वोट 2019 में रमेश लटके को मिले वोट से ज्यादा हैं। ऐसे में अंधेरी उपचुनाव उद्धव ठाकरे की उम्मीदों को परवान चढ़ाने वाला है, जो बीएमसी चुनाव जीतने की कोशिश में हैं।
अंधेरी उपचुनाव को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि नतीजे ने दिखाया है कि शिवसेना में विभाजन के बाद भी पार्टी में शाखाओं का नेटवर्क बरकरार है। दिलचस्प बात यह है कि परिणाम से पता चलता है कि विधायक और बड़े नेता भले ही शिंदे समूह में चले गए हों, लेकिन मुंबई में सामान्य शिवसैनिक अभी भी उद्धव ठाकरे का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक महाविकास अघाड़ी ने यह उपचुनाव एक साथ लड़ा था, फिर भी रितुजा लटके को कांग्रेस और एनसीपी से कितने वोट मिले, इस पर अभी संशय बना हुआ है।
NCP और कांग्रेस के वोट कितने ट्रांसफर, इस पर है संशय
इससे पहले दशहरे की रैली में भी शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुटों ने शक्ति प्रदर्शन किया था। इस दौरान उद्धव ठाकरे की रैली में भी बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। तब कहा गया था कि विपक्ष में रहने और विभाजन के बाद भी जिस तरह से उद्धव की रैली में भीड़ जुटी है, उससे उनकी ताकत का अंदाजा लगा है। महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने घोषणा की थी कि वे अंधेरी उपचुनाव एक साथ लड़ेंगे। हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी के कितने वोट लटके को ट्रांसफर किए गए, इसे लेकर संशय है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अंधेरी उपचुनाव में रितुजा लटके को कांग्रेस और एनसीपी के वोट जरूर मिले हैं। 2019 के चुनाव में 53 फीसदी मतदान हुआ था। हालांकि उपचुनाव में सिर्फ 31.74 फीसदी वोटिंग हुई।
भाजपा ने खेला NOTA का खेल, मिले 12 हजार से ज्यादा वोट
कम मतदान प्रतिशत के बावजूद रितुला लटके को रमेश लटके से ज्यादा वोट मिले हैं। इस संभावना को मानकर भी कि भाजपा ने पर्दे के पीछे से नोटा का खेल खेला, नोटा को करीब 12 हजार वोट मिले। इससे साफ है कि भाजपा का भी एक वोटबैंक बना हुआ है। इस तरह यदि यह नतीजा किसी के लिए झटका माना जा सकता है तो वह एकनाथ शिंदे गुट है। अंतिम समय में भाजपा ने अपने उम्मीदवार मुरजी पटेल का नाम वापस ले लिया था।