दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का उद्घाटन आज, पढ़िए इससे जुड़े 10 अहम Facts
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बनाए गए इस दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। बता दें कि चेनब नदी पर बने इस ब्रिज की ऊंचाई पेरिस में स्थित विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर से भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को जम्मू में चेनब रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। 1.3 किलोमीटर लंबाई वाले इस ब्रिज की ऊंचाई 359 मीटर है जो इसे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनाता है। चेनब नदी पर बना स्टील से बना आर्क के आकार का यह ब्रिज कश्मीर वैली को बाकी देश के साथ जोड़ेगा। इस रिपोर्ट में जानिए इस अद्भुत ब्रिज के बारे में 10 महत्वपूर्ण फैक्ट्स।
1. यह ब्रिज चेनब नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है और इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ज्यादा है।
2. चेनब रेलवे ब्रिज की लंबाई 1.3 किलोमीटर है। यह कटरा से लेकर बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबाई वाले स्ट्रेच में एक महत्वपूर्ण लिंक का निर्माण करता है।
3. जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का निर्माण किया गया है। बता दें कि इसे बनाने में 1486 करोड़ रुपये की लागत आई है।
4. इस ब्रिज का निर्माण साल 2002 में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लाइन प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुआ था। पूरा ब्रिज अगस्त 2022 में तैयार हो गया था।
5. यह ब्रिज को आधुनिक इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है। इसे ऐसे बनाया गया है कि यह 266 किमी प्रति घंटे रफ्तार वाली हवाओं को भी झेल सकता है।
6. चेनब ब्रिज में आर्क के आकार की डिजाइन दिखती है जो इसे खास बनाती है। आर्क का निर्माण स्टील से हुआ है और यह ब्रिज का सबसे अहम हिस्सा है।
7. इस ब्रिज पर से कोई ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर सकेगी। जल्द ही जम्मू और श्रीनगर के बीच वंदे भारत मेट्रो ट्रेन शुरू की जाएगी।
8.उम्मीद की जा रही है कि इस ब्रिज का उद्घाटन होने के बाद जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास में भी रफ्तार आएगी। इससे यहां कारोबार बढ़ेगा।
9. इसके साथ ही पर्यटन क्षेत्र को भी इस ब्रिज से काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि कनेक्टिविटी बेहतर होने से पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।
10. अधिकारियों ने चेनब ब्रिज को टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए तैयारियां भी कर ली हैं। इस ब्रिज को बनाने में 28,660 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है।