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‘जिस्म नोचते, भूखा-प्यासा रखते’; बदले की आग में ऐसे जली, 21 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दी गोली

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‘जिस्म नोचते, भूखा-प्यासा रखते’; बदले की आग में ऐसे जली, 21 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दी गोली

 

बचपन में शादी, जवानी में गैंगरेप, बदले की आग में डाकू बनी और 21 लोगों को मारकर बदला लिया। पढ़ें 20 साल की उम्र में डाकुओं की सरदार बनने वाली दस्य सुंदरी की कहानी…

 

जब बर्दाश्त करने की हद पार हो जाती है, दर्द कचोटने लगता है तो इंसान बदले की आग में जलने लगता है। फिर जब तक उस आग को ठंडा न किया जाए, मौत तक नहीं आती। ऐसे ही बदले की आग में फूलन देवी जलती थी, जिसे बुझाने के लिए उसने 21 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां मार दी थीं। इन लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया था।

उत्तर प्रदेश के कानुपर देहात में हुए बेहमई कांड की यादें उस वक्त ताजा हो गईं, जब उस खौफनाक हत्याकांड के एक आरोपी श्याम बाबू को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और दूसरे आरोपी विश्वनाथ को बरी कर दिया गया। हत्याकांड में आरोपी बनाए गए 36 लोगों में से फूलन देवी समेत 34 लोगों की मौत हो चुकी है।

विशेष बात यह है कि दोषी को सजा 14 फरवरी 2024 को सुनाई गई और 43 साल पहले 14 फरवरी 1981 को ही बेहमई कांड हुआ था। बैंडिट क्वीन दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने अपना बदला लिया था।

 

 

फूलन देवी कैसे बनी बीहड़ों की डकैत?

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले शेखपुर गुढ़ा गांव में जन्मी फूलन देवी अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी और बदले की आग में वह नरसंहार करने वाली डकैत बन गई। बचपन से गुस्सैल स्वभाव की फूलन देवी 6 भाई-बहनों में दूसरे नंबर की थी, लेकिन पिता देवी दीन पर बोझ बनी बेटी फूलन की 11 साल की उम्र में 3 गुना ज्यादा उम्र वाले पुत्तीलाल मल्लाह से शादी कर दी गई।

शादीशुदा जीवन की समस्याओं के कारण ससुराल वाले उसे मायके छोड़ गए, लेकिन नवयौवन की दहलीज पर पहुंची फूलन पर लोगों की गंदी नजर पड़ी, जिनमें से एक उसका रिश्तेदार था। उसका डाकुओं के साथ उठना-बैठना था। यह सोचकर कि फूलन देवी उसके साथ रहेगी, उसने बहलाकर उसे डाकुओं के गैंग का हिस्सा बना दिया।

 

 

बंधक बना कई दिन हवस बुझाते रहे

डाकुओं के सरदार बाबू गुर्जर की गंदी नजर फूलन पर पड़ी और उसने उसके साथ जबरदस्ती की। डाकू विक्रम मल्लाह ने उसे रोका, पर वह नहीं माना तो विक्रम ने बाबू की हत्या कर दी और वह गिरोह का सरदार बन गया। उसके सगे भाइयों श्रीराम और लाला राम ठाकुर की नजर फूलन पर पड़ी, लेकिन विक्रम मल्लाह अड़चन बना तो उन्होंने उसकी हत्या कर दी।

वे फूलन देवी उसके घर से उठाकर बेहमई ले गए। अपने साथियों के साथ मिलकर गैंगरेप किया। उन्होंने कई दिन उसे बंधक बनाए रखा। वे उसे भूखा प्यास रखते थे। दिन में कई बार उसका जिस्म नोचते थे, लेकिन फूलन देवी टूट गई थी। वह मरना चाहती थी कि एक दिन उसके पुराने साथी उसे तलाशते हुए बेहमई पहुंचे और उसे छुड़ाकर वापस ले आए।

 

 

ठाकुर जाति के 21 लोग मार दिए थे

बेहमई से निकलने के बाद फूलन देवी ने अपने साथ मान सिंह मल्लाह के बुलाया। पुराने साथियों को इकट्ठा किया और डाकू गिरोह का सरदार बन गई। वह बदला लेने की आग में जल रही थी। 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी पुलिस यूनिफॉर्म पहनकर बेहमई पहुंची। उसके ठाकुओं ने गांव को घेर लिया। अपने गिरोह के मेंबरों की मदद से अपने बलात्कारियों को गांव में तलाशा, लेकिन वे फूलन देवी के डर से छिप चुके थे।

फूलन ने गांव के लोगों से लालाराम खान के बारे में पूछा, लेकिन वे जवाब नहीं दे पाए तो उसने ठाकुर जाति के 21 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया। इसके बाद फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर हुई। पुलिस उसके पीछे पड़ी और एक दिन फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया।

 

 

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