छह महीने से ज्यादा हो गई फरारी तो बंद कर दो बिहार में नगर निकाय चुनाव की तैयारी
बिहार में दो चरण के नगर निकाय चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा हो गई है और तीसरे का इंतजार है। 10 अक्टूबर को वोटिंग और 12 अक्टूबर को काउंटिंग वाले पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन का काम शुरू भी हो चुका है जो 19 सितंबर तक चलेगा। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने कैंडिडेट के नामांकन के पर्चे को खारिज करने के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उसमें एक खास नियम है कि जो लोग भी छह महीने से ज्यादा समय से कानून की नजरों में फरार हैं वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के डीएम को पर्चा खारिज करने के संबंध में बताया है कि जिन कैंडिडेट के दो से ज्यादा बच्चे होंगे वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं और उसने एक्स्ट्रा बच्चे को किसी को कानूनन गोद भी दे रखा है तो भी जैविक पिता या माता के तौर पर गिनती होगी और उसे चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा। 2012 और 2017 के नगर निकाय चुनावों के बाद कुछ जीते कैंडिडेट्स के खिलाफ इस तरह की शिकायत मिली थी कि उनके दो से ज्यादा बच्चे थे लेकिन उन्होंने दो ही बच्चे दिखाए। जांच में पता चला कि एक्स्ट्रा बच्चे को उन लोगों ने कागज पर किसी को गोद दिया हुआ दिखा दिया था।
चुनाव आयोग ने प्रशासन को नामांकन केंद्रों पर अलर्ट रहने कहा है क्योंकि क्रिमिनल केस के वारंटी और फरारी भी नॉमिनेशन दाखिल करने पहुंच सकते हैं। चुनाव नियमों में प्रावधान है कि अगर किसी को कोर्ट ने 6 महीने से ऊपर की सजा सुनाई है तो वो चुनाव नहीं लड़ सकता। अगर किसी को सेक्शन 109 या 110 के तहत अच्छे व्यवहार की जमानत देने कहा गया है और उसे किसी कोर्ट ने पलटा ना हो तो वो भी चुनाव नहीं लड़ सकता। इसी तरह कोई आरोपी जो छह महीने से ज्यादा तक कानून की नजर में फरार हो वो भी चुनाव नहीं लड़ सकता।