Home खास खबर दुष्कर्म के आरोपी को अंतिम सांस तक काटनी होगी जेल, पीड़िता को देना होगा 15 लाख का मुआवजा – GAYA POCSO COURT DECISION

दुष्कर्म के आरोपी को अंतिम सांस तक काटनी होगी जेल, पीड़िता को देना होगा 15 लाख का मुआवजा – GAYA POCSO COURT DECISION

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दुष्कर्म के आरोपी को अंतिम सांस तक काटनी होगी जेल, पीड़िता को देना होगा 15 लाख का मुआवजा – GAYA POCSO COURT DECISION

गया में दुष्कर्म के आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. साथ ही पीड़िता को 15 लाख का मुआवजा भी देना होगा.

गया: बिहार के गया में पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संदीप मिश्रा ने दुष्कर्म के आरोपी मंजूर आलम को दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया है. आरोपी को 15 लाख जुर्माने की भी सजा सुनाई गई है. घटना 2020 में जिले के कोच थाना अंतर्गत एक गांव में घटी थी, उस समय पीड़िता ने आरोप लगाया था कि मंजूर दीवार फांदकर उसके घर में घुसा और उसके साथ दुष्कर्म किया. इस मामले में पीड़िता ने स्वयं प्राथमिक दर्ज कराई थी.

शादी का झांसा देकर करता रहा शोषण: पीड़िता ने आरोप लगाया था कि दुष्कर्म की घटना के बाद मामले को छुपाने के लिए मंजूर आलम ने शादी करने का झांसा दिया. वो उसके झांसे में आ गई लेकिन इस दौरान वो लगातार शारीरिक संबंध बनाता रहा. जिस वजह से वो गर्भवती हो गई और इसी बीच एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चा होने से पहले तक वह शादी करने का झांसा देता रहा लेकिन बाद में मुकर गया और बच्चे को पिता का नाम देने से भी मना कर दिया.

हुआ था डीएनए टेस्ट: पीड़िता ने स्वयं प्राथमिकी दर्ज कराया था. अदालत के आदेश पर इस मामले में अभियुक्त का डीएनए टेस्ट भी कराया गयाथा, जिससे इस बात की पुष्टि भी हुई थी कि बच्चे का पिता अभियुक्त मंजूर आलम ही है. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पॉक्सो विशेष लोक अभियोजक सुनील कुमार और सूचक की ओर से अधिवक्ता आर काजमी ने अपना पक्ष रखा था.

12 लोगों की हुई थी गवाही: इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल सात गवाहों की और बचाव पक्ष की ओर से पांच गवाहों की गवाही हुई थी. अदालत में इस मामले में सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद दोषी अभियुक्त मंजूर आलम को 6 पोक्सो एक्ट के तहत सजा सुनाई गई. अलग-अलग धाराओं में उसे सजा सुनाई गई है. आजीवन उसे जेल में रहना होगा. अदालत में अपने फैसले में पीड़िता को 15 लाख रुपये बतौर मुआवजा देना का भी आदेश दिया है.

“मुझे इंसाफ की उम्मीद थी. अदालत के फैसले से मैं संतुष्ट हूं. मैंने यह लड़ाई अपने बच्चे को पिता का नाम दिलवाने के लिए लड़ा था. अदालत से उम्मीद थी कि उसे इंसाफ मिलेगा, आज मुझे इंसाफ मिल गया.”- पीड़िता

 

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