गया की डिप्टी मेयर चिंता देवी बेच रहीं कद्दू, आखिर क्यों आई ऐसी नौबत?
Gaya Deputy Mayor Chinta Devi: बिहार के गया में नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी ने सब्जी बेचनी शुरू कर दी है। चिंता देवी अपने कार्यालय नहीं गईं और सब्जी मार्केट में जाकर सड़क पर बैठकर कद्दू बेचने लगीं। मामला क्या है, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं?
बिहार के गया में नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी ने सब्जी बेचने का काम शुरू कर दिया है। सोमवार को नगर निगम के कार्यालय में न जाकर वे सब्जी मार्केट में सड़क पर बैठकर कद्दू बेचने लगीं। अचानक चिंता देवी के सब्जी बेचे जाने का काम शुरू करने पर हर कोई हैरत में पड़ गया। जहां पर वे सब्जी बेच रही थीं, वहां पर भीड़ जमा हो गई। सब्जी बेचने के पीछे क्या कारण हैं, डिप्टी मेयर चिंता देवी ने खुलासा किया है? उन्होंने नगर निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। निगम अधिकारियों की ओर से उनको कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया जाता है। नगर निगम में जो भी मीटिंग होती है, उसमें उनको निमंत्रण भी नहीं दिया जाता। नगर निगम द्वारा शहर में क्या-क्या योजनाएं चलाई जा रही हैं, उसकी भी जानकारी अधिकारी नहीं देते हैं?
चिंता देवी ने आरोप लगाया कि कई महीनों से उनको पेमेंट नहीं दी गई है। उनके इलाके के लिए फंड भी जारी नहीं किया गया है, जिसके कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। लोग भी दिक्कतों के चलते परेशान हो गए हैं। जिसके कारण अब उन्होंने सब्जी बेचने का फैसला लिया है। सब्जी बेचकर हम लोग कुछ पैसे कमा लेंगे। उन्होंने कहा कि वे नगर निगम में सरकारी सफाई कर्मी थीं। जिसकी पेंशन मिल रही है। लेकिन अब वे नगर निगम में डिप्टी मेयर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं, इसलिए उनको निगम की योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए। वे बिना जानकारी किसी मीटिंग में जाकर क्या करेंगी?
लोगों में शुरू हुई चर्चा
चिंता देवी ने कहा कि अधिकारी लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं। अगर उनको सम्मान ही नहीं मिलेगा तो पद का कोई महत्व नहीं है। वे कई बार निगम कार्यालय जाकर गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। बता दें कि चिंता देवी 40 साल तक नगर निगम में सफाई कर्मी के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं। इस बार चिंता देवी ने डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ा था। वे अच्छे वोटों से जीतीं। चुनाव में उनको सफाई कर्मियों और आम लोगों का अच्छा समर्थन मिला। इस बार डिप्टी मेयर का पद रिजर्व था। चिंता देवी को सब्जी बेचते देख लोगों की भीड़ जुट गई। तस्वीरें वायरल होने के बाद इस बात की चर्चा लोगों में हुई कि जमीनी स्तर के नेता को अगर सम्मान नहीं मिला तो आम लोगों की आवाज कौन सुनेगा?