प्रदीप कुमार नायक
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
सर्टिफिकेट के फोल्डर अपलोड करने के आखिरी दिन संदिग्ध नियोजित शिक्षकों ने बड़ी संख्या में अपने फोल्डर अपलोड कर दिए. जिसके बाद यह आंकड़ा 80 हजार तक पहुंच गया है. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अब करीब 11,000 शिक्षकों की विदाई तय है. ना सिर्फ उन्हें नौकरी से हटाया जाएगा बल्कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उनसे वेतन की वसूली भी की जाएगी.
शिक्षा विभाग ने निगरानी जांच के दायरे में आए वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त करीब 1,03,000 शिक्षकों को संदेहास्पद की सूची में डाला था, जिनके फोल्डर निगरानी को नहीं मिले. इनमें से करीब 12 हजार या तो त्यागपत्र दे चुके थे या कुछ लोगों की मौत हो चुकी थी. बाकी बचे करीब 91 हजार शिक्षकों को 21 जून से 20 जुलाई के बीच अपने फोल्डर शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने थे.
24 घंटे पहले तक करीब 65 हजार शिक्षकों ने अपने फोल्डर अपलोड किए थे, लेकिन शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 20 जुलाई की शाम तक करीब 80 हजार शिक्षकों ने अपने फोल्डर अपलोड कर दिए हैं. अब बाकी 11 हजार शिक्षकों की नौकरी जानी तय है और उनसे वेतन की वसूली भी की जाएगी. शिक्षा विभाग इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगा.
गौरतलब है कि बिहार में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे शिक्षकों को कई बार शिक्षा विभाग की ओर से मौका मिला. पटना हाईकोर्ट ने भी ऐसे शिक्षकों को खुद से इस्तीफा देने का मौका दिया था, इसके बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षकों ने इस्तीफा नहीं दिया. अब निगरानी जांच के दायरे में आए शिक्षकों के तमाम सर्टिफिकेट की जांच होगी जिसके बाद यह फैसला होगा कि इनमें से कितने शिक्षक सही सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं.
बता दें कि 2006 से 2015 के बीच ‘सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ’ की तर्ज पर बिहार में लाखों शिक्षकों की बहाली हुई थी. इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर स्कूलों में ज्वाइन कर लिया. पटना हाई कोर्ट के आदेश पर जब फर्जी सर्टिफिकेट मामले की जांच शुरू हुई तो उसके बाद निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया कि उसे करीब 1,03,000 शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले.