Home खास खबर नये संसद भवन में रखा जायेगा सेंगोल, क्या है इसका इतिहास और महत्व, जानें यहां

नये संसद भवन में रखा जायेगा सेंगोल, क्या है इसका इतिहास और महत्व, जानें यहां

0 second read
Comments Off on नये संसद भवन में रखा जायेगा सेंगोल, क्या है इसका इतिहास और महत्व, जानें यहां
0
198

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज प्रेस कॉन्फेंस कर जानकारी दी कि 28 मई को नये संसद भवन के उद्धघाटन के दौरान सेंगोल रखा जायेगा. इस सेंगोल को स्पीकर से कुर्सी के पास रखा जायेगा. इसे सत्ता के पावर के रूप में देखा जाता रहा है. इस सेंगोल को चोल वंश के सत्ता के प्रतीक के रूप में देखा जाता था. ये पंरपरा हमारे देश में आजादी तक अपनाया गया. यही नहीं जब अंग्रेज भारत से अपने शासन को खत्म करने का ऐलान किया है यानी आजादी का ऐलान किया था तब पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू को इस सेंगोल को सौंपा गया था. वर्तमान समय में ये इलाहाबाद के एक संग्राहलय में रखा है. इस सेंगोल में ऊपर की ओर नंदी होगा.

क्या है इसका इतिहास

चोल शासन को दक्षिण भारत की और विश्व के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला वंश माना जाता था. इसका शासन 300 बीसी से 13वें शताब्दी तक था. वहीं चोल शासन में कोई राजा जब किसी को राजा चुन लेता है या उत्तराधिकारी घोषित किया जाता था तो इस सेंगोल को सत्ता के ट्रांसफर के रूप में दिया जाता था. जिसके पास ये होता था वहीं राज्य का राजा होता था. ये परंपरा सभी काल ने जारी रहा. ये  सोने का होता था जिससे पर किमती पत्थर जड़े हुए होते थे.

सेंगोल का अर्थ

सेंगोल एक संस्कृत शब्द है जिसे संकु से बनाया गया है. इस संकु का हिंदी में अर्थ है शंख. हिंदू परंपराओं के अनुसार शंख को पवित्र माना जाता है. इसे पावर के रूप में या राजदंड के रूप में जाना जाता था. जब राजा किसी खास कार्यक्रम में जाते थे या कभी अपनी शक्तियों का उपयोग करना चाहते थे तभी इसका इस्तेमाल करते थें.

आजादी से जड़ी कहानी

1947 में जब भारत को आजाद करने की बात हो रही थी तब अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू से सत्ता के ट्रांसफर के कार्यक्रम के लिए पूछा. उस वक्त पंडित नेहरू के पास कोई प्लान नहीं था फिर उन्होंने पूर्व गवर्नर सी राज गोपालाचारी के पास गये फिर उन्होंने ये सेंगोल का सुझाव दिया था. उस वक्त ये सेंगोल तमिलनाडु के सबसे पुराने मठ थिरुवदुथुराई के पास था. जिसे आधी रात को लाया गया था. बाद में महंत ने इसकी पूजा कर लॉर्ड माउंट बेटन को सौंपा जिसे माउंट बेटन ने पंडित नेहरू सत्ता के हंस्तांतरण के रूप में सौंपा और भारत अंग्रेजों से भारतीयों के वापस आ गई.

Load More Related Articles
Load More By Seemanchal Live
Load More In खास खबर
Comments are closed.

Check Also

मारपीट व घर का सारा काम कराने के बाद कराता था देह व्यापार

मारपीट व घर का सारा काम कराने के बाद कराता था देह व्यापार सदर थाना क्षेत्र के बटराहा वार्ड…