महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर समस्त देशवासी चिंतित हैं।कार्य स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के सवाल पर गुजरात के सूरत शहर निवासी मंजू शर्मा मेरे व्हाट्सएप फोन पर लिखती हैं कि वक़्त अब चुप बैठने का नहीं, बल्कि चुप्पी तोड़ने का हैं।इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण पुरुष प्रधान समाज की सोच हैं, जो हर हाल में महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझता हैं।आइये पढ़ते हैं मंजू शर्मा की कलम से लिखी हुई एक मार्मिक और दिल को झकझोर कर देने वाली रचना।
“काम क्रोध लोभ अति भावा
कर्म छोड़ अपराध अपनावा”
अपराध वह कार्य है जिससे राज्य की शांति भंग होती है और हिंसा उत्पन्न होती है, अर्थात जीवन दूषित तथा नर्क होता है, जिसके लिए दंड की व्यवस्था है पर…..
भारत में रोजाना हर 3 मिनट में महिला विरुद्ध अपराध होता है, हर 29 मिनट में एक बलात्कार होता है, हर 77 मिनट में दहेज के लिए एक महिला की हत्या होती है, 80 मिनट एक हत्या रोजाना होती है साथ साथ 15% बढ़ोतरी चोरी, लूट की घटनाओं में है.. यें कहां जा रहे हैं हम, संस्कार पीछे छोड़ कर… जब यह सब हमारे समाज में ही होता है तो दंड व्यवस्था पर सवाल उठाना लाजमी है l यह आंकड़े हमारे देश की लाचार न्याय व्यवस्था की तस्वीर दिखाने के लिए काफी है l
आज प्रदेशों में बढ़ता अपराध प्रशासन को चुनौती दे रहा है l सभी सर्वे का एवरेज लगाया जाए तो पता चलता है कि आर्थिक लोभ और विकृत मानसिकता अपराध का मूल कारण है l असामाजिक तत्व द्वारा हर आए दिन छीना-झपटी, लूटपाट, गाली-गलौज, छेड़छाड़ चोरी और महिला विरुद्ध सामूहिक अपराध तो मानो सामान्य हो गया है l प्रतिदिन अपराधों की फाइल लिखी जा रही है l अपराधी का मनोबल मानो गिरने की जगह उठता जा रहा है l पुलिस और प्रशासन भी तब जागता है जब कोई जघन्य अपराध होता है l छोटी मोटी घटना पर तो व्यवस्था को जू तक नहीं रेंगती l आज के दौर में अपराधिक गतिविधियां हमारे समाज को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती, यह बेहद चिंताजनक विषय है l उल्लेखनीय है कि यह आंकड़े जो हमें मिलते हैं वह दर्ज मामले के ही हैं अर्थात असल अपराध की संख्या तो इनसे कई गुना अधिक है l यह सर्वविदित है कि हमारे देश में अनेक अपराधिक मामलों पुलिस या तो दर्द नहीं करती या फिर रफा-दफा कर दिया जता है या फिर लोग कानूनी पचड़े में ना पड़ने की वजह से गुनाह दर्ज नहीं कराते l
महिलाओं के खिलाफ अपराधों की शिकायतें लगभग 30 से 40% बढ़ी है, हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने महिला पर किए गए अपराध को “कभी ना खत्म होने वाला अपराध चक्र” कह कर परिभाषित किया है l विवाहिता महिलाओं का उत्पीड़न हो या दहेज उत्पीड़न, महिलाओं का शीलभंग या छेड़छाड़, बलात्कार का प्रयास, बलात्कार, साइबर क्राइम भ्रूण हत्या, सामाजिक भेदभाव यह सब हमारे ‘खास’ देश की ‘आम’ बात है l आखिर इन सब के लिए जिम्मेदार कौन? हमारा समाज या कानून व्यवस्था l मुझे यह लिखते हुए कोई खेद नहीं है कि हमारे समाज के कच्चे संस्कार ही नर्क द्वार हैl 21वीं सदी में महिला अपराध के मुख्य कारण न्यायिक व्यवस्था और पुरुष की वक्री बुद्धि है l ऐसे मामलों में न्याय में विलंब और मामूली दंड देखकर अपराधी को रिहा करना उनके मनोबल को प्रोत्साहन देता है l
NCRB के आंकड़े के अनुसार हर दिन 80 लोगों की मृत्यु होती है l कारण की बात करें तो मुझे नहीं लगता कि कोई विशेष कारण किसी की जान लेने की उपयुक्त हो सकता हैl किसी की हत्या करना, आम हत्या, भीड़ द्वारा की गई हत्या, खास हत्या, राजनीतिक हत्या, संपत्ति के लिए की गई थी हत्या और ना जाने कितनी हत्या है…लोभ, विकृत मानसिकता और खास मकसद से ही की जाती है l इन सभी हत्या का कारण काम, क्रोध, मोह, मंद, अहंकार जैसे विकार ही है l इन विकारों के कारण मनुष्य नशे में होता है और बिना कर्म के फल की अपेक्षा करता है अर्थात निराश होकर अपराध की राह पर चल पड़ता है l खैर कारण कुछ भी हो हत्या के जायज कारण बताना शैतान का शास्त्र सिखाने के बराबर है l
भारत में आत्महत्या अर्थात स्वयं की हत्या एक अपराध है, जिसमे आजकल जबरदस्त उछाल देखने मिलता है l लगभग 15 से 29 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौत की सबसे सामान्य वजह आत्महत्या को पाया गया है l आत्महत्या के मामले में महिला पुरुष अनुपात 1:2 का है l अपराध का मूल कारण हमारी सामाजिक व्यवस्था, हमारा परिवार, रूढ़िवादी सोच और चार लोग क्या कहेंगे? हैं l ऐसे में कह दूं कि आत्महत्या कोई तब करता है जब वह निरंतर अवसाद मैं होता है l मुझे यह बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि भारत में रोजाना 418 युवा आत्महत्या का शिकार होता है, जिसमें सिक्किम प्रथम है और बिहार अंतिम में है l
हमारे यहां चोरी लूटपाट के मामले में तो कुछ कहना ही बेकार हैl एक अनुमान के मुताबिक लगभग 50% चोरी- लूटपाट के ही केस पकड़े जाते हैं l घर की चोरी, दुकान, गोदाम, कारखाने तो केवल रिपोर्ट करते है और अभी अपराधी पकड़ा भी जाए तो पुलिस के लिए अदालत में यह साबित करना ना के बराबर होता है l तो पुलिस पकड़ कर करेगी क्या? ऐसे हालात में भला अपराध पर अंकुश कैसे लगाया जाए? ऐसे केस में लोगों की सहायता के नाम पर पुलिस भी अपना पल्ला झाड़ लेती है l
अब जब कानून की बात करें तो यह भारतीय संविधान का बड़ा रोचक शब्द है, जो केवल अमीरों के लिए शेष रह गया है क्योंकि पुलिस, वकील, कोर्ट, कचहरी ‘आम’ आदमी को ‘खास’ कुछ नहीं दे पाते l आखिर देगी भी कैसे कानून की देवी की आंखों पर पट्टी है अमीर और गरीब को पहचान नहीं पाती, तो बस कानों के सहारे वह अमीरों के पैसों की खनक ही सुन पाती है l और कानून व्यवस्था इतनी महंगी और जटिल है कि आम आदमी के समझ के परे है अर्थात वह इन सब से दूर ही रहना चाहता है l अपने प्रियजनों की हत्या पर भी वह अक्सर चुप रहना पसंद करता है ना कि कानून के पचड़े में पड़ना l ऐसे में न्याय देवी की पट्टी हटाकर कौन दिखाएगा आम आदमी पर हुआ अपराध?
आज एक अनुमान के मुताबिक 30 मिलियन मामले अदालत के बैकलॉग में है इसमें से 4 मिलियन हाई कोर्ट में और 65000 सुप्रीम कोर्ट में है l यह आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैंl जिससे यह तो पता चलता है कानून कितना गतिशील है आम आदमी के लिए कितना अनुपयोगी है l अमीर वकीलों का खर्च वहन कर सकते हैं तो लगभग सारे कोर्ट केस उन्हीं के हिसाब से होते हैं, और गरीबों की किस्मत में केवल तारीख पे तारीख होती है l सच तो यह है कि वर्तमान प्रणाली समय के अनुसार गतिशील नहीं है इसे तुरंत पूर्ण गठन करने की आवश्यकता है l ऐसा करने पर ही न्याय व्यवस्था लोकतंत्र और प्रगतिशील समाज के लिए उपयोगी होगी l अंत में…
” जन अपराध भयो है भारी
न्याय देवी को कहां पुकारी”
इनका मानना हैं कि राजनीति में महिलाओं की पूरी और बराबरी की भागीदारी लैंगिक समानता के लक्ष्य को पाने के लिए बेहद जरूरी हैं और इसके लिए महिला आरक्षण की वर्षो पुरानी मांग को पूरा किया जाना आवश्यक हैं, यदि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं संसद और विधान मंडल में चुनकर आयेगी तो पुरजोर तरीके से अपनी बात रख पायेगी।
-
यौन उत्पीड़न मामलों को लेकर बंगाली अभिनेत्रियों ने आवाज की बुलंद, सीएम ममता बनर्जी को लिखा 5 पन्नों का पत्र – Sexual Harassment Cases
यौन उत्पीड़न मामलों को लेकर बंगाली अभिनेत्रियों ने आवाज की बुलंद, सीएम ममता बनर्जी को लिखा… -
वो 3 IPS अफसर कौन? जो एक्ट्रेस कादंबरी जेठवानी के शोषण केस में सस्पेंड; 2 पूर्व CM के करीबी
वो 3 IPS अफसर कौन? जो एक्ट्रेस कादंबरी जेठवानी के शोषण केस में सस्पेंड; 2 पूर्व CM के करीब…
Load More Related Articles
-
बढ़ सकती है राहुल गांधी की मुश्किलें, 12 अप्रैल को पटना कोर्ट में होना है हाजिर
साल की सजा पाने और संसद की सदस्यता गंवाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें और… -
मां दुर्गा’ के नाम पर लालू यादव ने रखा पौती का नाम, तेजस्वी यादव ने पोस्ट कर दी जानकारी
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कुछ दिनों पहले ही पिता बने हैं. चैत्र नवरात्रि के दौर… -
एयर इंडिया पायलटों का प्रबंधन पर सेवा शर्तों में एकतरफा बदलाव का आरोप
एयर इंडिया के पायलटों के निकाय ने एयरलाइन प्रबंधन पर उनकी सेवा शर्तों में एकतरफा ढंग से ‘त…
Load More By nisha Kumari
-
राजकीय पॉलिटेक्निक में उमंग 2024-25 में वाॅलीबॉल में मैकेनिकल विजेता, इलेक्ट्रिकल उपविजेता
राजकीय पॉलिटेक्निक में उमंग 2024-25 में वाॅलीबॉल में मैकेनिकल विजेता, इलेक्ट्रिकल उपविजेता… -
बार-बालाओं के साथ वर्दी में लगाए ठुमके, बिहार से वायरल Video पर अधिकारियों ने लिया संज्ञान
बार-बालाओं के साथ वर्दी में लगाए ठुमके, बिहार से वायरल Video पर अधिकारियों ने लिया संज्ञान…
Load More In खास खबर
Comments are closed.
Check Also
बढ़ सकती है राहुल गांधी की मुश्किलें, 12 अप्रैल को पटना कोर्ट में होना है हाजिर
साल की सजा पाने और संसद की सदस्यता गंवाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें और…