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बिहारी होना गर्व की बात है यहाँ की संस्कृति पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।

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प्राचीन बिहार अंग,विदेह तथा मिथिला,मगध और वृज्जि राज्य थे,जो सत्ता के प्रमुख केन्द्र माने जाते थे।यहाँ की संस्कृति पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।

 

 

 

हिन्दू,मुश्लिम, सिख और ईसाई धर्मो का समन्वय स्थल बिहार ही हैं।राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की कर्म स्थली और विदेह राजतनया सीता की जन्म भूमि बिहार ही हैं।आदिकवि महर्षि बाल्मीकि से लेकर आर्यभट्ट,चाणक्य,चंद्रगुप्त एवं महाकवि विद्यापति जैसे महान सपूतों ने इस धरती पर जन्म लेकर दुनिया को अपनी प्रतिभा से रोशन किया।। आपको बिहार के गौरवशाली इतिहास के संदर्भ में संक्षिप्त में बताता हूं,फिर आप खुद तय करे कि बिहारी होना गौरव की बात है की बात हैं या नहीं।आपको इतिहास की जानकारी हैं तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि बिहार की शिक्षा शिक्षा विश्व विख्यात रही हैं।ऋषि,मुनियों व कर्मयोगियों की भूमि बिहार ही रही हैं।महात्मा बुद्ध को बोध गया बिहार में ही ज्ञान प्राप्त हुआ था।आज भी विश्व भर से लोग अपने पित्तरों की आत्मा शांति तथा मुक्ति के लिए गया आना नहीं भूलते हैं।

 

बिहार की संस्कृति मगध अंग,मिथिला तथा वज्जि संस्कृतियों का मिश्रण हैं।यहाँ के पर्व-त्योहार, रीति-रिवाज,खानपान सभी अद्दितीय हैं।आज का बिहार हर क्षेत्र में आगे बढ़ने को तत्पर हैं।बिहार का समृद्ध अतीत रहा हैं।सभ्यता, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहे बिहार के अवदानों की चर्चा किए बगैर देश का इतिहास पूर्ण नही हो सकता।जिस बिहार ने देश को एक से बढ़ कर एक विभूति देकर राष्ट्र का गौरव बढ़ाने का कार्य किया अगर उसी प्रान्त के लोगों को राष्ट्र के किसी भी प्रान्त मे बिहारी कहकर अपमानित करने या उसे उक्त प्रान्त से बाहर करने की बात कोई करे तो यह कहा तक उचित हैं।

 

अथिति देवो भव: की परिभाषा अगर आज भी कहीं हैं तो वह बिहार के मिथिलांचल में हैं।भगवान शंकर बिहार में कवि मैथिल कोकिल विद्यापति के यहाँ नौकर तथा सेवक के रूप में रहे और आज भी मिथिलांचल स्थित भवानीपुर ग्राम में उगना महादेव मंदिर हैं,जहाँ प्रति वर्ष श्रावण माह एवं शिवरात्रि के दिन लाखों लोग एकत्र होते हैं।इस राष्ट्र को चीन से लड़ाई के दौरान 17 मैन सोना बिहार के ही दरभंगा महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह ने दिया था।खनिज सम्पदाओं से भरा रहा हैं बिहार।उसके टुकड़े किये गए लेकिन आज भी आर्थिक, मानसिक, शैक्षणिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक रूप से बिहार का मुकाबला करना सम्भव नहीं हैं।

 

सिखों के दसवें गुरु , गुरु गोविन्द सिंह पटना के थे।राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने पश्चिम चम्पारण से सत्याग्रह की शुरुआत कर अंग्रेजों को ललकारा था।अस्सी वर्ष की बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों से लड़ते हुए हाथ में गोली लगने पर अपनी बांह को काटकर गंगा माता को चढ़ा दिया था लेकिन हिम्मत नहीं हारी बिहार अब झारखंड के विरसा मुंडा के इतिहास से कौन परिचित नहीं हैं।जगद्गुरु शंकराचार्य को बिहार के शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र की धर्म पत्नी भारती से परास्त होना पड़ा था।सवा धूर जमीन में साग-पत्ती उपजा कर जीवन यापन करने वाले अयाची मिश्र बिहार की धरती पर ही जन्म लिए।जिन्होंने जीवन मे कभी भी किसी से याचना नहीं की।आज़ादी के बाद भारत को प्रथम राष्ट्रपति देने वाला प्रान्त बिहार ही हैं।डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को कौन नहीं जानता ।रिजर्व बैंक का पहला गवर्नर बिहार ने एल. के. झा के रूप में दिया।बाबा नागार्जुन को इतिहास कभी भूला नहीं सकता हैं।आज भी देश को सबसे अधिक आई.ए. एस. व आई.पी.एस. बिहार ही दे रहा हैं।

 

बिहार को श्रेष्ठ घोषित करने के लिए इतिहास के गर्भ में अनेकों उदाहरण छुपे हैं।लेकिन महाराष्ट्र में एक बार जो बाला साहब ठाकरे ने या असम में या दिल्ली में बिहार व उत्तर प्रदेश वालो के लिए जो शब्द इस्तेमाल किये गए वह शोभनीय नहीं हैं।बिहार हो या उत्तर प्रदेश ,कश्मीर हो या मेघालय ,पश्चिम बंगाल हो या महाराष्ट्र, असम हो या अरुणाचल प्रदेश या केरल कोई भी प्रान्त हो सभी का अधिकार हैं इस देश पर ।यह देश किसी एक प्रान्त से नहीं बना रहा,विभिन्न प्रान्तों के समूह से बना हैं।फिर कोई किसी प्रान्त के लोंगो को कहीं आने -जाने से कैसे रोक सकता हैं।देश के राजनीतिक नेताओं को यह सोचना चाहिए कि देश के सभी प्रान्तों में विकास की रोशनी पहुँचे और सभी अपनी प्रान्तों में अपनी परिवार के साथ रहकर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी करें।लेकिन जब असमानता होगी तो लोग प्रान्त छोड़कर एक जगह से दूसरे जगह जाएंगे और उन्हें रोका नहीं जा सकता।

 

हमें तो गर्व हैं बिहार और बिहारी पर ,हमें तो गर्व है उत्तर प्रदेश पर ,अपने सभी प्रान्तों व राष्ट्र पर ।जिन्हें बिहार – उत्तर प्रदेश वालों से परहेज हैं, वे इस देश को छोड़कर विदेश में जाकर बसे तो उन्हें ज्ञात हो जाएगा कि भारतीयों से विदेशी कितना प्यार करते हैं।

 

स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
प्रदीप कुमार नायक

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