बिहार में लगातार क्यों गिर रहे हैं पुल? विपक्ष ने मोदी-नीतीश सरकार को ठहराया जिम्मेदार
बिहार में पुलों के गिरने की घटनाओं ने राज्य की बुनियादी ढांचे की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के बयानों ने इस मुद्दे को और भी गर्मा दिया है.
बिहार में इन दिनों मानसून की बरसात जोर-शोर से जारी है, जिससे कई जिलों में भारी और हल्की बारिश भी हो रही है. इस बारिश के कारण राज्य में पुलों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इन घटनाओं पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है. वहीं लालू प्रसाद यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा, ”नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार इसका दोष भी मुगलों, अंग्रेजों और विपक्षियों को ही देंगे. कल एक ही दिन में 5 पुल ढहे. 15 दिन में 12 पुल गिर चुके हैं. पुलियों का कोई हिसाब-किताब नहीं.”
लालू का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वे पुलों के गिरने की घटनाओं को सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम मानते हैं. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है और इन घटनाओं के लिए किसी और को दोष देने के बजाय स्वयं की जिम्मेदारी लेने की बात कही है.
तेजस्वी यादव का आक्रोश
तेजस्वी यादव ने भी अपने पिता के बयान का समर्थन करते हुए कहा, ”4 जुलाई यानी आज सुबह बिहार में एक और पुल गिरा. कल 3 जुलाई को ही अकेले 5 पुल गिरे. 18 जून से लेकर अभी तक 12 पुल ध्वस्त हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खामोश एवं निरुत्तर हैं. सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें?”
तेजस्वी का यह बयान इस बात का संकेत है कि वे राज्य की बुनियादी ढांचा योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और निष्क्रियता की ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इन घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए है और किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी लेने से बच रही है.
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल
तेजस्वी यादव ने आगे कहा, ”भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, सुशासन आदि का सदैव गीत गाने वाले, दूसरों में गुण-दोष ढूंढने वाले, तथाकथित उच्च समझ वाले शीर्षस्थ कर्मी, उच्च कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह अधिवक्ता तथा अच्छे विचारों वाले श्रेष्ठतम लोग अपनी अंतरात्मा का गला घोंटकर तथा सुशासन के इन कुकृत्यों पर मौन रहकर पुण्यात्मा बन बैठे हैं.”
वहीं तेजस्वी के इस बयान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि जो लोग हमेशा से नैतिकता और सुशासन की बातें करते आए हैं, वे अब इन घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार को राज्य की मौजूदा समस्याओं का मुख्य कारण बताया है.