जनता की आवाज उठाने वालों की आवाज को दबाना बंद करो
प्रोफेसर हनी बाबू पर हमला नही सहेंगे
आज डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू पर सरकार द्वारा किए जा रहे दमन के खिलाफ डीयू के शिक्षकों व छात्रों ने आर्ट फैकेल्टी गेट पर विरोध सभा का आयोजन किया। सभा का आयोजन डीयू के अंग्रेजी विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया था। सभा में भारी संख्या में छात्रों और शिक्षकों ने भागीदारी कर सरकार के दमनकारी चरित्र को बेनकाब किया।
सभा में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा की सरकार विरोध की हर आवाज को दबाना चाहती है वह चाहे मजदूर हो चाहे किसान चाहे छात्र या चाहे शिक्षक। हर वह आवाज जो सरकार के विरोध में खड़ी है उसका गला घोंटने की कोशिश की जा रही है। ताजा मामला डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू का है। 10 सितंबर की सुबह पुणे पुलिस के 20 सिपाही उनके घर पर छापा मारते हैं और उन पर भीमा कोरेगांव की हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया जाता है।
1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा मुख्यतः दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा आयोजित की गई थी जिसमें संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे नाम के दक्षिणपंथी लोगों का नाम आया था। इस घटना में दलितों पर हमला किया गया था। परंतु इस घटना के बाद दोषियों पर कार्यवाही करने के बजाए सरकार जनता की आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं को ही एक-एक करके फर्जी मुकदमों में गिरफ्तार कर रही है। पिछले 1 साल में एक दर्जन से ऊपर लोगों को फर्जी मुकदमों में गिरफ्तार किया गया है और इसी तरह साजिश के तहत प्रोफ़ेसर हनी बाबू को फसाया जा रहा है।
हनी बाबू एक शिक्षक होने के साथ-साथ मजदूरों, दलितों और छात्रों की आवाज को उठाते रहे हैं। यही बात सरकार को नागवार गुजरती है। इसीलिए उनकी आवाज को फर्जी मुकदमों के तहत दबाने की कोशिश की जा रही है। वक्ताओं ने एक स्वर में सरकार के इस मंसूबे का विरोध करते हुए प्रोफेसर हनी बाबू के साथ एकजुटता जाहिर की। साथ ही सरकार के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। सभा में तय किया गया कि इस पूरे मामले की सच्चाई को व्यापक रूप से छात्रों व जनता के बीच ले जाकर सरकार के मंसूबों को बेनकाब किया जाएगा.