अभी आपके मोबाइल पर जब कोई कॉल आती है तो उसकी घंटी 35 से 40 सेकंड तक सुनायी देती है। लेकिन एयरटेल ग्राहकों के फोन पर घंटी बजने की अवधि 25 सेकंड हो गयी है। प्रतिद्वंदी रिलायंस जियो से बराबरी के लिए कंपनी ने यह निर्णय किया है। इसका एक मकसद कॉल जुड़ने पर लगने वाले इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क (IUC) की लागत घटाना भी है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इंटरकनेक्ट शुल्क पर उसके किसी आधिकारिक निर्णय पर पहुंचने से पहले इस मुद्दे पर आपस में उलझी दूरसंचार कंपनियों से सर्वसम्मति से किसी समाधान पर पहुंचने के लिए कहा था।
इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क किसी एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए लिया जाता है। इसमें जिस नेटवर्क से कॉल की जाती है वह कॉल पहुंचने वाले नेटवर्क को यह शुल्क अदा करता है। अभी इसकी दर छह पैसा प्रति मिनट है।
एयरटेल ने कहा कि उसने फोन की घंटी बजने की अवधि को 25 सेकंड तक सीमित करने का निर्णय किया है। जियो के ऐसा करने के बाद यह फैसला लिया गया है। इससे ग्राहकों को असुविधा हो सकती है। नियामक की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश ना होने के चलते कंपनी के पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। हालांकि कंपनी नियामक के सामने इस बात को कई बार रख चुकी है।
ट्राई से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नियामक 14 अक्टूबर को ‘कॉल किए जाने वाले व्यक्ति को फोन की घंटी बजने की अवधि के मुद्दे पर एक खुली चर्चा कराने की योजना बना रहा है। इसके अलावा इस पूरे आईयूसी मुद्दे पर भी बातचीत होगी। इसके लिए एक परिचर्चा पत्र पहले ही जारी कर दिया गया है। इस पर जल्द निर्णय किया जाएगा।
एयरटेल ने ट्राई को 28 सितंबर को भेजे एक पत्र में कहा कि यद्यपि हमने महसूस किया कि इससे ग्राहकों को परेशानी हो सकती है लेकिन ट्राई की ओर से कोई निर्देश नहीं होने और इंटरकनेक्ट शुल्क के घाटे से बचने के लिए हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है। इसलिए हमने हमारे नेटवर्क पर फोन की घंटी बजने की अवधि को घटाने का निर्णय किया है।
एयरटेल ने कहा कि पिछले सात-आठ हफ्तों में कई अनुरोध के बावजूद ट्राई ने रिलायंस जियो को फोन की घंटी की अवधि बढ़ाकर मूल रूप में लाने का निर्देश नहीं दिया है। ना ही उसने अधिकतर कंपनियों द्वारा सहमत 30 सेकंड की अवधि लागू करने के लिए कोई सामान्य निर्देश दिया है।
एयरटेल ने जियो के इस कदम के प्रभाव के बारे में बार-बार ट्राई को बताया है। कंपनी का कहना है कि फोन की घंटी बजने की अवधि कम करने से मिस्ड कॉल की संख्या बढ़ेगी। इससे किसी व्यक्ति को कॉल लगाने और साथ ही मिस्ड कॉल देखने के बाद वापस कॉल करने की संख्या भी बढ़ेगी। इससे ग्राहकों के अनुभव के साथ-साथ नेटवर्क की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कंपनी का कहना है कि इससे ग्राहकों के लिए कॉल को दूसरे नंबर पर स्थानांतरित (कॉल फारवर्ड) करने की सुविधा लेना भी मुश्किल हो जाएगा।
पिछले महीने आईयूसी के मुद्दे को लेकर सभी कंपनियों का विवाद नियामक के पास तक पहुंच गया था।
एयरटेल ने दूसरे नेटवर्क पर कॉल जुड़ने को पैसा कम चुकाने के लिए जियो पर प्रणाली के साथ ‘धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। वास्तव में आईयूसी को एक जनवरी, 2020 से खत्म किए जाने का प्रस्ताव है। लेकिन ट्राई इस समयसीमा की अभी समीक्षा कर रहा है।