ट्रेन चलती तो हर दिन बचते 80 हजार रुपए
सुपौल से सहरसा के बीच एक फेरा ट्रेन चलने का लाभ शायद ही किसी यात्री को मिल रहा है। खासकर रोज सहरसा आने-जाने वाले यात्री ट्रेन परिचालन शुरू होने के बाद भी ठगा सा महसूस कर रहे हैं। नियमित और पर्याप्त ट्रेन नहीं चलने से यात्रियों को रोज आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
सहरसा आने-जाने वाले दैनिक यात्री बैद्यनाथ सिंह, अमित कुमार, सूरज कुमार, कंचन देवी, योगेन्द्र महतो, राम नारायण मंडल, विनोद यादव आदि का कहना है कि वे लोग नौकरी पेशा वाले हैं। रविवार छोड़कर सप्ताह के छह दिन सहरसा आते-जाते हैं। बसों में एक तो अधिक किराया लगता है, साथ ही समय की बर्बादी भी होती है। सुपौल से सहरसा के लिए ट्रेन तो चली लेकिन एक जोड़ी ट्रेन चलने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ट्रेन की समय-सारिणी नौकरी पेशा लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।
Source – Hindustan