
लंबी दूरी की ट्रेन के लिए करना होगा इंतजार
सहरसा-सुपौल रेलखंड का अमान परिवर्तन होने के बाद भी जिलेवासियों को रेल सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है। लोगों का कहना है कि एक सवारी गाड़ी के सहरसा से चलने और सुपौल से सहरसा के लिए वापस होने के समय में किसी भी एक्सप्रेस या मेल ट्रेन का समय सहरसा में नहीं होता है।
यही कारण है कि 95 फीसदी से अधिक यात्री लंबी दूरी की ट्रेन पकड़ने के लिए बस और निजी वाहनों से सहरसा या दूसरे शहरों को जाते हैं। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक लंबी दूरी की ट्रेन के लिए जिलेवासी को अभी दो महीने से अधिक समय का इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल अभी भी रेलवे स्टेशन पर तीन और चार नंबर प्लेटफॉर्म पर पटरी बिछाने का काम बांकी है। इसके चलते चार स्टार्टर सिग्नल का प्वाइंट का निर्धारण नहीं हो पाया है।
इसके अलावा दो रोड सिग्नल का निर्माण सहित कई जरूरी काम पेंडिंग है। हालांकि रेलवे स्टेशन पर रिले रूम का काम अंतिम चरण में है और दो-तीन में रेलवे के अधिकारी टेस्टिंग भी कर सकते हैं। यही नहीं फिर से आनन-फानन में सरायगढ़ तक बिना सिग्नल निर्माण के ही सवारी गाड़ी चलाने की तैयारी रेलवे कर रहा है। रेलवे के तकनीकी विभाग के जानकारों की मानें तो कंस्ट्रक्शन विभाग पटरी बिछाकर प्वाइंट दे तो जल्द ही सिग्नल का काम फाइनल हो जाएगा। लेकिन रेलवे के वरीय अधिकारियों की शिथिलता का खामियाजा जिलेवासियों को भुगतना पड़ रहा है। लेकिन रेल प्रशासन बिल्कुल चुप बैठा है।
सुबह में आने के बाद शाम को जाती है ट्रेन
सहरसा-सुपौल के बीच फिलहाल एक जोड़ी सवारी गाड़ी चलती है। 55502 डाउन सवारी गाड़ी सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर सहरसा से चलती है और साढ़े 10 बजे सुपौल पहुंचती है। यही ट्रेन 55501 अप बनकर शाम साढे़ 5 बजे सुपौल से चलकर शाम 7 बजे सहरसा पहुंचती है। इस बीच सात घंटे तक यह ट्रेन सुपौल स्टेशन पर ही खड़ी रहती है। रेलवे सूत्रों की मानें तो फिलहाल ट्रेनों की संख्या या सवारी गाड़ी का फेरा बढ़ाने की निकट भविष्य में कोई योजना नहीं है। ट्रेनों के अभाव में क्षेत्र के काफी संख्या में यात्रियों को परेशानी होती है। लोगों ने ट्रेनों की मांग की है।
Source-HINDUSTAN