
विपदा की घड़ी में मानव सेवा ही़ मेरा धर्म: डॉ. राणा
कोविड-19 महामारी से जंग लड़ने में शिक्षा जगत भी पीछे नहीं है।स्थानीय राजकीय बबुजन विशेश्वर बालिका पल्स टू विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत डॉ. रणधीर कुमार राणा आदर्श मिशाल पेश कर रहे हैं।इस विपदा की घड़ी में डॉ. राणा दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं।लोगों को अपने स्तर से मास्क, साबुन, सेनिटाइज, हैंडवाश के साथ अन्य जरुरी समान भी मुहैया करा रहे हैं।जहाँ कहीं से भी लोग मदद की गुहार लगाते हैं डॉ. राणा हरसंभव मदद कर रहे हैं।मालूम हो कि इस महामारी से पुरी दुनिया त्रस्त है।ऐसी परिस्थितियों में लोगों के लिए मददगार साबित होना सच्चे मानव की पहचान है।डॉ. राणा ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, असाम आदि राज्यों में फंसे प्रवासियों को सोशल मीडिया के माध्यम से भी हरसंभव मदद कर रहे हैं।फेसबुक, ह्वाटसएप,ईमेल, इंस्टाग्राम आदि सोशल साइट्स के माध्यम से लगभग पांच हजार प्रवासियों से संपर्क कर खाने पीने का समान भी मुहैया करवाने में मदद की है।इतना हीं नहीं इस लॉक डाउन में स्कूली छात्र-छात्राए़ं पढ़ाई में पीछे न रह जाये इसके लिए ऑन लाइन कक्षा भी संचालन कर रहे हैं।डॉ. राणा के इस क्रियाकलाप का आमजन काफी प्रसंशा कर रहे हैं। डॉ. राणा ने कहा कि जिला प्रशासन का काफी सहयोग मिल रहा है।मानव जीवन का असली मकसद लोगों का मदद करना होता है।उन्होंने कहा कि इस आपदा की घड़ी में देशवासियों द्वारा एकजुटता दिखाना भारत के संस्कृति को दर्शाता है।सभी लोग हरसंभव एक दूसरे का मदद कर रहे हैं।उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस महामारी को मात देने के लिए हरहाल में प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स को अपनायें।प्रशासन के साथ कोरोना वारियर्स का सहयोग करे।सोशल डिस्टेंस का अवश्य पालन करे।एकजुटता व सहयोग से हीं इस महामारी से निजात मिलेगी। डॉ. राणा ने इस काम में सहयोग के लिए आभार जताया।
छातापुर।सुपौल। सोनू कुमार भगत