जीका वायरस के कई मामले सामने आए
नई दिल्ली पिछले साल भारत में जीका वायरस के कई मामले सामने आए थे। इसके मामले सामने आते ही कई राज्य सरकारों ने इस जीका वायरस के लक्षणों से पीड़ित लोगों पर खास निगरानी रखने को कहा था। वहीं, भारत के अलावा यह वायरस दुनिया भर के 86 देशों में भी फैल चुका है। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह ज़ीका भी खतरनाक वायरस है। इसका सबसे अच्छा बचाव यही है कि आप जीका वायरस के बारे में सारी जानकारी रखें। आपको पता होना चाहिए कि यह बीमारी कैसे फैलती है, इसके लक्षण और इलाज क्या है।
जीका वायरस से क्या है खतरा
यह वायरस इतना खतरनाक है कि अगर किसी गर्भवती महिला को हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी यह बुखार हो सकता है। जिस वजह से बच्चे के सिर का विकास रूक सकता है और वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी फैल सकता है।
वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में स्किन रैशेज़ या दाग, पीलिया, लिवर से जुड़ी बीमारियां, अंधापन, दिमागी बीमारी, ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत और कई बार बच्चे की मौत भी हो सकती है। वहीं, वयस्कों में जीका वायरस गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती हैं, इस वजह से शरीर में कई दिक्कतों की शुरुआत होती है।
कैसे फैलता है जीका वायरस
यह वायरस डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की ही तरह मच्छरों से फैलता है। यह एक प्रकार का एडीज मच्छर ही है, जो दिन में सक्रिय रहता है। अगर यह मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है, जिसके खून में वायरस मौजूद है, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है। मच्छरों के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध और संक्रमित खून से भी जीका बुखार या वायरस फैलता है।
क्या हैं जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से संक्रमित कई लोग खुद को बीमार महसूस नहीं करते। लेकिन इसके आम लक्षण डेंगू बुखार की ही तरह होते हैं। जैसे थकान, बुखार, लाल आंखे, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और शरीर पर लाल चकत्ते।
क्या है जीका वायरस का इलाज
इस वायरस का कोई टीका नहीं है, न ही कोई उपचार है। इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल (एसिटामिनोफेन) दी जाती है।
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