पूर्व टेस्ट क्रिकेटर माधव आप्टे का निधन सोमवार सुबह हो गया। कार्डिएक अरेस्ट के बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उन्होंने सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर आखिरी सांस ली। वे 86 साल के थे। आप्टे ने अपने छोटे से टेस्ट करियर में भारत की ओर से सात मैच खेले, जिसमें उन्होंने कुल 542 रन बनाए थे। उनके नाम पर 1 शतक और तीन अर्धशतक दर्ज हैं। उनके निधन पर कई दिग्गज क्रिकेटरों ने दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर उनको श्रद्धांजलि दी है।
आप्टे ने अपने टेस्ट करियर के 7 मैचों में 49.27 की औसत से कुल 542 रन बनाए थे। उनका उच्चतम स्कोर 163* रन था, जो उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में बनाए थे। उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू नवंबर 1952 में मुंबई में पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए किया था। जिसमें उन्होंने 30 और 10* रन की पारी खेली थी। अपने करियर के सात मैचों में से पांच मैच उन्होंने कैरेबियाई दौरे पर खेले। जहां उन्होंने 51.11 की औसत से 460 रन बनाए थे। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट वेस्ट इंडीज के खिलाफ किंग्स्टन में अप्रैल 1953 में खेला था।
17 साल तक खेला प्रथम श्रेणी क्रिकेट
टेस्ट करियर के मुकाबले प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आप्टे का करियर काफी लंबा रहा। उन्होंने 17 साल तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और इस दौरान 67 मैचों में 3336 रन बनाए। जिसमें 6 शतक और 16 अर्धशतक भी शामिल हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 165 रन था।
400+ रन बनाने वाले भारत के पहले ओपनर
माधव आप्टे किसी एक टेस्ट सीरीज में 400 से ज्यादा रन बनाने वाले भारत के पहले ओपनर थे। उन्होंने 1953 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ हुई सीरीज में 460 रन बनाकर ये कारनामा किया था। वे मुंबई की टीम से घरेलू क्रिकेट खेलते थे और इस टीम के कप्तान भी रहे थे। माधव आप्टे ने अपने करियर के दौरान वीनू मांकड़, पॉली उमरीगर, विजय हजारे और रुसी मोदी जैसे कई महान क्रिकेटर्स के साथ खेला।
बतौर गेंदबाज शुरू किया था करियर
माधव आप्टे शुरुआती दौर में लेगब्रेक गेंदबाज थे, लेकिन कॉलेज में उनके कोच रहे वीनू मांकड़ ने उनके अंदर छुपी बल्लेबाजी की प्रतिभा को पहचानकर उनसे ओपनिंग कराना शुरू कर दिया। आप्टे कुछ वक्त के लिए ‘क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष भी रहे थे। इसके अलावा वे आजीवन ‘लीजेंड्स क्लब’ के अध्यक्ष रहे। जिसका गठन अलग-अलग खिलाड़ियों की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए हुआ था।
Source: Dainik Bhaskar