
दो नये प्रखडों के सृजन का प्रस्ताव वर्षों से लम्बित.
बिहार के पृष्ठभूमि में पूर्णिया जिले सबसे पिछड़े व सुदूर विधानसभाओ में से एक अमौर विधान सभा क्षेत्र जो भौगोलिक दृष्टिकोण से चारो ओर से नदियों से घिरे रहने के कारण हर वर्ष कभी बाढ़ तो फिर कभी कटाव की समस्याओं से जूझना पड़ना है। अमौर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2004 में प्रस्तावित दो नये प्रखंडों के सृजन का प्रस्ताव आज भी लंबित है। इसके कारण आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पर रहा है। इस विधान सभा क्षेत्र में अमौर प्रखंड से बड़ा ईदगाह एवं बैसा प्रखंड मजगामा हाट को नवसृजित प्रखंड बनाने जाने की पहल साल 2004 के दिसम्बर माह में आयोजित पूर्णिया जिला परिषद् की बैठक में प्रस्ताव लेकर किया गया था। प्रस्तावों का अनुमोदन कर तत्काल राज्य सरकार को भेजा भी गया था । भेजे गए प्रस्ताव में अमौर प्रखंड के वर्तमान 25 पंचायतों में से नौ पंचायत नवसृजित बड़ा ईदगाह में शामिल किया जाना है। इन पंचायतों में बाड़ा ईदगाह, झौवारी, अधांग, तियरपाड़ा, बंगरा मेहदीपूर, मझुवा हाट, आमगाछी, बकेनिया बरेली, बरबट्टा पंचायत है। वही अमौर प्रखंड में पंचायत तालबाड़ी, डहुआबाड़ी एवं दलमालपूर पंचायत को बैसा प्रखंड में जोड़ना शामिल है। इसी प्रकार बैसा प्रखंड के वर्तमान 16 पंचायतों में से नौ पंचायतों को नवसृजित मजगामा प्रखंड में शामिल करने का प्रस्ताव लिया गया था।इन नौ पंचायतों में बलुवा गोस्तरा, कंजिया, चंदेल, चंदवार, मझोक, मोंगरा प्याजी, धुसमल, खपड़ा, सिरसी पंचायत शामिल हैं। उक्त प्रस्ताव पारित होने के 14 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी आज तक नवसृजित दोनो प्रखंडो का प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है। कहा जाता है कि विगत दिनों मुख्यमंत्री जब किशनगंज के दमाल बाड़ी दौरा में आए थे तो उन्होंने सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया था। अब बस क्षेत्रवासियों को मुख्यमंत्री का बेसब्री से इंतजार है कि कब वे आए और कब उन्हें अमौर व
बैसा के प्रखंड मुख्यालय के लंबी दूरी का चक्कर लगाने से मुक्ति मिल सके।
स्रोत-हिन्दुस्तान