अमौर के महेशबथनाह काली मंदिर में बंगाली विधि विधान से होती है मां काली की पूजा
अमौर प्रखंड़ के कनकई नदी के तट पर बसे खाड़ी महीनगांव पंचायत के अंतर्गत आने वाला महेशबथनाह एक ऐसा गांव है जहां लगभग एक सौ बीस वर्षों से मां काली की पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ बंगाली विधि-विधान से की जाती है। पूजा समिति के वर्तमान सदस्यों ने बताया कि वे चौथी पीढ़ी के हैं। उनके पूर्वज जब यहां रहते थे तो इस गांव में एक बार हैजा का महाप्रकोप फैला था। जिसे देखकर कुछ लोगों ने तो इस गांव को ही छोड़ दिया। पर जो लोग यहां उस समय टिक गए उन्होंने बंगाल से पुरोहित को लाकर गांव में काली की प्रतिमा स्थापित की और विधि विधान से पूजा पाठ किया। कहते हैं कि पूजा समाप्ति के कुछ दिनों बाद ही इस गांव के लोगों को हैजा के प्रकोप से मुक्ति मिल गयी। तभी से इस गांव के हर व्यक्ति में मां के प्रति श्रद्धा भाव कूट-कूटकर भर गयी। पहले जहां फूस के कच्चे भवन में मां की पूजा होती थी आज स्थल पर पंद्रह लाख की लागत से मां काली सहित बजररंग बली के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। सदस्यों ने बताया कि हर बार की तरह इस बार 27अक्टूबर की मध्यरात्रि को पूरे विधि विधान के साथ मां काली के पट बंगला विधि से खोल दिया जाएगा। साथ ही संध्या से ही पड़ोसी राष्ट्र नेपाल और निकटवर्ती राज्य उत्तर बंग के प्रसिद्ध गायक श्रद्धालुओ द्वारा भजन कीर्त्तन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में दो दिवसीय मां काली के पूजा के साथ साथ आकर्षक मेले का भी आयोजन किया जा रहा है। वर्तमान में इस पूजा समिति में 21सदस्य हैं जिनमे अध्यक्ष सुहागी देवी, उपाध्यक्ष शंभु कुमार राय, पुरोहित संजय झा और साधक संत रोहित कुमार राय शामिल हैं। सदस्यों ने बताया कि यहां बलि प्रथा नहीं है। मां काली की पूजा बेल पत्र, भांग, धूप, दीप, धतूरा, दूध, केले और फूल से की जाती है।
स्रोत-हिन्दुस्तान