वैश्विक तापमान में वृद्धि चिंता का विषय : डीएम.
डीएम राहुल कुमार ने कहा कि पूर्णिया उन क्षेत्र में से है जहां अत्यधिक वर्षा हुआ करती थी। इसे मिनी चेरापूंजी भी कहते थे। मिनी दार्जिलिंग तो अब भी कहते है। लेकिन अब वह समय दूर नहीं है। जब ये तमगा भी पूर्णिया से छिन जाएगा। इसे बचाने के लिए आपलोगों को जगना होगा। क्योंकि हमारे पुरखों ने हमलोगों को बहुत कुछ दिया है। आसपास तालाब, पोखर व बड़े-बड़े पेड़ जो देखते हैं। यह सब पूर्वजों ने दिया है। हमलोगों को एक सवाल अपने आप से पूछना होगा कि अगली पीढ़ी को क्या देकर जा रहे है। वे कसबा प्रखंड कार्यालय स्थित ग्राउंड में आगामी 19 जनवरी को जल-जीवन-हरियाली के लिए मानव शृंखला की सफलता को लेकर आयोजित जागरुकता अभियान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
डीएम ने कहा कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से बराबर एवं पुरुषों से बेहतर कर रही है। सामाजिक जागरुकता का विषय है तो मानव शृंखला में महिलाएं ही अग्रणी भूमिका निभा रही है। शराबबंदी लागू हुई महिलाओं के कारण और महिला बल जब ठान ले तो कोई भी चीज असंभव नहीं है। आज जिस विषय को लेकर हमलोग जागरुकता अभियान चला रहे हैं। इस विषय को गंभीरता से लेना होगा। आज जिस तेजी से पानी भी घट रहा है हरियाली भी खत्म हो रही है। इस पर विचार करना होगा। अब देखना होगा कि पूरी दुनिया में कैसे तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि होता जा रही है। पहले तीन से चार महीना सर्दी का मौसम होता था। पहले दुर्गा पूजा के समय से ठंड का एहसास होने लगता था। किन्तु आज के समय में ठंड आधा दिसम्बर के बाद आती है। बरसात का भी पहले मौसम हुआ करता था। आज पूरे तीन-चार महीने में जुलाई अगस्त सितम्बर में कुल मिलाकर देखें तो दस-बारह से पंद्रह दिन तक ही वर्षा होती है। धीरे-धीरे ये जो मौसम जो जरूरी मौसम है। यह सिकुड़ता जा रहा है। अब गर्मी मार्च से ही अच्छी पड़ने लगती है जो अक्टूबर-नवम्बर तक रहती है। वैश्विक तापमान में वृद्धि होती जा रही है। इसका असर हमारे खेती पर भी हो रहा है। और जब खेती पर असर होगा तो फसल सब्जी महंगी मिलेगी। पिछले एक से दो दशक के बीच में वर्षा में जो यहां 11 सौ मिलीमीटर से 12 सौ मिलीमीटर वर्षा हुआ करती थी। अब घटकर 7 सौ से 8 सौ मिलीमीटर वर्षा होती है पूरे वर्ष में। एक तिहाई वर्षा गायब हो चुकी है। हमलोग नहीं चेते तो धीरे-धीरे वर्षा काफी कम हो जाएगा।
HINDUSTAAN