पूर्णिया से कब नामांकन करेंगे पप्पू यादव? जानें बिहार की सियासी हलचल
बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जोरों पर है, जिसमें राज्य की पूर्णिया लोकसभा सीट सुर्खियों में बनी हुई है. बता दें कि 29 मार्च को बिहार में महागठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल होने के बाद पप्पू यादव की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं.
बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जोरों पर है, जिसमें राज्य की पूर्णिया लोकसभा सीट सुर्खियों में बनी हुई है. बता दें कि 29 मार्च को बिहार में महागठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल होने के बाद पप्पू यादव की उम्मीदें टूटती नजर आ रही हैं. वहीं, राजद द्वारा पूर्णिया लोकसभा सीट से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद इस सीट पर सियासी घमासान मच गया है. जानकारी के अनुसार, पप्पू यादव अभी भी पूर्णिया सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं और वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. इसके अलावा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पप्पू यादव 2 अप्रैल को पूर्णिया लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे. बताया जा रहा है कि अगर उन्हें कांग्रेस से सिंबल नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
आपको बता दें कि पप्पू यादव ने हाल ही में अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था. वहीं पप्पू यादव को पूरी उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट से उम्मीदवार जरूर बनाएगी, लेकिन महागठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत यह सीट आरजेटी के खाते में चली गई. इसके अलावा राजद ने यहां से बीमा भारती को टिकट दिया है. अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद पप्पू यादव पूर्णिया को अपनी प्रतिष्ठा की सीट मान चुके हैं और किसी भी कीमत पर इसे छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का सिंबल न मिलने पर पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.
जानें पप्पू यादव के पास आगे के लिए क्या है रणनीति?
इसके साथ ही आपको बता दें कि बीमा भारती नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू छोड़कर राजद में शामिल हुई थीं. राजद में शामिल होते ही पार्टी प्रमुख लालू यादव ने उन्हें पूर्णिया से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, जिसके बाद से ही पप्पू यादव का गुस्सा बढ़ गया. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि, ”चाहे कुछ भी हो जाए, वह पूर्णिया सीट नहीं छोड़ेंगे.”
अब इसमें सवाल ये उठ रहा है कि, ”अब पप्पू यादव के बाद क्या विकल्प हैं? उनकी आगे की रणनीति क्या हो सकती है? वहीं सूत्रों का कहना है कि, पप्पू यादव या तो कांग्रेस से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं या फिर कांग्रेस द्वारा दी गई किसी अन्य सीट पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो सकते हैं. बता दें कि पप्पू यादव पहले भी तीन बार पूर्णिया और दो बार मधेपुरा लोकसभा सीट जीत चुके हैं.