राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर एक संपूर्ण कवि: कुलपति
मधेपुरा। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर एक संपूर्ण कवि एवं लेखक थे। उन्होंने जीवन एवं जगत के सभी आयामों सहित समाज, धर्म, सभ्यता, संस्कृति एवं राजनीति सहित सभी क्षेत्रों की समस्याओं पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उक्त बातें कुलपति डॉ. अवध किशोर राय ने कही। वे बुधवार को स्नातकोत्तर हिदी विभाग, बीएनएमयू के तत्वावधान में विज्ञान संकाय भवन में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय विद्वत परिषद् की बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में किया गया था। संगोष्ठी का विषय’राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर था। कुलपति ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के एक प्रमुख लेखक, कवि एवं निबंधकार थे। वे तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के कुलपति और राज्य सभा के सदस्य भी रहे। कुलपति ने कहा कि दिनकर जनता से संवाद करते थे। उन्होंने समाज के उपेक्षित, पीड़ित एवं वंचित वर्ग को आवाज दीं। उनके साहित्य से हमें रौशनी मिलती है। हमें उनकी जीवन-दृष्टि को अपनाने की जरूरत है। इससे पहले प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कहा कि दिनकर जनपक्षधर कवि थे। दिनकर ने स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों को अपनी रचनाओं में स्वर दिया। इन मूल्यों के लिए वे स्वतंत्रता के बाद भी संघर्ष करते रहे। संगोष्ठी की अध्यक्षता हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. सीताराम शर्मा ने की। संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप ने किया। मौके पर पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. इंद्र नारायण यादव, बीएनमुस्टा के महासचिव डॉ. नरेश कुमार, मधेपुरा कॉलेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक कुमार, सिडीकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, सुभाष झा, डॉ. मनोरंजन प्रसाद, डॉ. रीता सिंह, डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. वीर किशोर सिंह, डॉ. वीणा कुमारी, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, सोनम सिंह, रश्मि कुमारी, कुमारी संगीता, प्रिस कुमार, राहुल कुमार, विभिषण कुमार, जयदीप मोनू, रुपेश कुमार, धीरज, मंटू कुमार, बिकाश कुमार, हरिओम कुमार, प्रीति, रूपम, चांदनी, अर्चना, मंजू सोरेन, अनुज, जुगनू, निराकार, रागिनी राज आदि उपस्थित थे।
स्रोत-दैनिक जागरण