कुमारखंड: आस्था का केंद्र है दक्षिणेश्वर काली मंदिर
प्रखंड के रामनगर महेश गांव स्थित सार्वजनिक दक्षिणेश्वर काली मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है। करीब 114 वर्ष पूर्व 1905 में ग्रामीणों के सहयोग से गांव के तत्कालीन पंडित स्व. नंदलाल झा, स्व. छत्रधारी ठाकुर, स्व. सोनेलाल झा समेत समस्त ग्रामीणों के सहयोग से दक्षिणेश्वर काली की विधि विधान पूर्वक स्थापना की गई। स्थापना के बाद हरेक साल काली पूजा के अवसर पर यहां काली, शंकर, गणेश, जोगिनी, भगजोगनी, भैरव आदि भगवानों की भव्य मूर्ति का निर्माण कर उसकी पूजा अर्चना की परंपरा शुरू हुई। ग्राम देवता के रूप में स्थापित दक्षिणेश्वर काली की पूजा अर्चना की परंपरा को आज तक ग्रामीणों के सहयोग से किया जाता रहा है। मंदिर की देखरेख के लिए श्यामा पूजा कमेटी का निर्माण किया गया।
वर्ष 1993 में पंडित स्व. रामचंद्र झा वकील, स्व. चंद्रकांत झा, स्व. श्रीकांत ठाकुर, स्व. शुभंकर झा, स्व. पंडित मौजेलाल झा, स्व. ब्रजनाथ मिश्र, स्व. षडानंद झा, स्व. शुभंकर ठाकुर, गिरिजानंद ठाकुर बच्चन सहित गांव के अन्य प्रबुद्ध लोगों की देखरेख में ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।इसी वर्ष से नवनिर्मित भवन में काली जी की पूजा अर्चना की शुरुआत की गई। काली पूजा के अवसर पर चार दिवसीय पूजा अर्चना की परंपरा बरसों से चली आ रही है।
काली पूजा की चल रही है तैयारी: काली पूजा और मेले की तैयारी इस वर्ष भी शुरू कर दी गई है। पूजा कमिटी के अध्यक्ष गिरिजानंद ठाकुर बच्चन, सदस्य पंडित जयचंद झा, कैलाशपति झा, सुधीर ठाकुर, नारायण झा, केदार प्रसाद साह, बिंदी राय आदि ग्रामीणों के सहयोग से पूजा और मेला की तैयारी शुरू कर दी गई है। मूर्तिकार महादेव पंडित के द्वारा काली जी सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्ति का निर्माण शुरू कर दिया गया है।
मूर्तिकार महादेव करीब 40 वर्षों से मूर्ति का निर्माण करते आ रहे हैं। मंदिर के पुजारी ब्रह्मानंद ठाकुर बताते हैं कि काली पूजा के अवसर पर दूरदराज से श्रद्धालुओं माता की पूजा- अर्चना करने को पहुंचते हैं। मन्नतें पूरी होने पर मंदिर में छाग की बलि दी जाती है। श्यामा युवा नाट्य कला परिषद के सौजन्य से दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। पूजा समिति के अध्यक्ष गिरिजानंद ठाकुर बच्चन ने बताया कि काली जी की महिमा बहुत निराली है। ग्रामीणों के अलावा आसपास के क्षेत्रों से भी हजारों श्रद्धालु मैया के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगाते हैं। पूजा और मेला की तैयारी कमेटी की निगरानी में शुरू हो चुकी है।
स्रोत-हिन्दुस्तान