चांदी का सिक्का मिलने वाले स्थल का सीओ ने किया निरीक्षण
प्रखंड विकास पदाधिकारी दिघलबैंक पूरन साह ने रविवार को कनकई नदी के पार जाकर सिंघीमाड़ी पंचायत के सीमावर्ती गांवों का दौरा किया। इस दौरान श्री साह ने जिला प्रशासन से मिले निर्देशानुसार, पिछले सप्ताह सीमा से सटे नेपाली क्षेत्र में मिले उन्नीसवीं सदी के चांदी के सिक्कों को लेकर भी स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद जानकारी देते हुए बीडीओ दिघलबैंक ने बताया कि घटनास्थल भारतीय सीमा से करीब 500 मीटर दूरी पर नेपाल के सीमा अंतर्गत है । इसके बावजूद जिस प्रमुखता के साथ इस न्यूज़ को स्थानीय अखबारों एवं अन्य मीडिया चैनलों ने पिछले दो दिनों से दिखाया है उसके बाद यह आवश्यक था कि इस बात की सही-सही जानकारी ली जाए कि आखिर वह चांदी के सिक्के कहां से मिले और अब वे बहुमूल्य सिक्के किनके किनके पास हैं। आगे उन्होंने कहा कि घटनास्थल सहित सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र के लोगों से बातचीत के बाद यह बात तो स्पष्ट है कि खेत से मिले चांदी का सिक्के 19 वीं सदी के हैं और इसका संबंध ब्रिटिश शासन काल के समय उस जगह पर बसे जमींदार चंखु खुंदा और धुम्मा कीर्तनिया से बताया जा रहा है। जिसके बारे में लोगों ने बताया कि वह दोनों भाई एक समय में इस क्षेत्र के जमींदार हुआ करते थे। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये सिक्के उन्हीं लोगों ने यहां के जमीन में गाड़ कर रखा हो और पिछले सप्ताह खेत जोतते वक्त बाहर वे सिक्के बाहर निकल आया। लेकिन खेतों की जुताई के वक्त वह घड़ा जिसमें सिक्के था कैसे टूटा या सिक्का कैसे पूरे खेत में बिखर गया इसकी स्पष्ट जानकारी घटनास्थल पर कोई भी नहीं दे पाया। साथ हीं यह पूरा मामला और घटना स्थल दूसरे देश से संबंधित होने के कारण उन सिक्कों को प्रशासनिक रूप से जब्त करने की कोई कार्रवाई भी स्थानीय प्रशासन नहीं कर सकती है। गौरतलब है कि करीब सप्ताह भर पूर्व सिंघीमाड़ी पंचायत के डाकूपाड़ा गांव से सटे नेपाली सीमा क्षेत्र के खेत की जुताई के क्रम में सन 1840 ईस्ट इंडिया कंपनी के विक्टोरिया क्वीन की तस्वीर वाली तथा सन 1877 के चांदी के सिक्के ,जिसपर विक्टोरिया एम्प्रेस के फोटो के निशान छपे हैं प्राप्त हुए थे, तब से यह स्थान चर्चा में है।
स्रोत-हिन्दुस्तान