दो विधानसभा क्षेत्र के पेंच में फंस कर डेढ़ दशक बाद भी पुल का निर्माण नहीं हो सका है। जिससे ग्रामीणों के लिए चचरी पुल ही आवाजाही का साधन बन चुका है। विकास के इस दौर में भी पुल का नहीं बनना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है। विधानसभा परिसीमन के बाद कोचाधामन व किशनगंज विधानसभा के चक्कर में पड़कर सतिघटा-चौंदी गांव के निकट रमजान नदी की धार पर अब तक पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को आवागमन का संकट बरकरार है। यह पुल गाछपाड़ा व सिंधिया कुलामनी पंचायत क्षेत्र को जोड़ती है। सितिघटा-चौंदी गांव के निकट रमजान नदी के धार पर ध्वस्त पुुल का पुनर्ननिर्माण करीब डेढ़ दशक बीतने के बाद भी नहीं हो सका है। ग्रामीणों का कहना है कि विधानसभा परिसीमन में पुल का दो छोर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र एवं दो पंचायत में पड़ने के कारण जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार बन लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है। करीब डेढ दशक पूर्व ध्वस्त हुए पुल का निर्माण आज तक नहीं होने से पुल की ओर टकटकी लगाए देख ग्रामीण अपने को ठगा महसूस कर जनप्रतिनिधियों से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पुल का निर्माण करीब 13 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। पुल निर्माण काल में ही गुणवत्ता की कमी का भेंट चढ़ गया था। तब से आज तक ग्रामीणों को यहां नदी के धार पर पुल का सुविधा नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि विधानसभा परिसीमन का भेंट यह पुल चढ़ गया है। पुल निर्माण होने के समय पुल के दोनों ओर का गांव किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में पड़ता था। तत्कालीन विधायक अख्तरुल ईमान द्वारा विधायक फंड से पुल निर्माण कराया गया था। गुणवत्ता के कमी के कारण पुल निर्माण होने के एक वर्ष में ही बाढ़ का पानी से पुल का एप्रोच सहित पुल ध्वस्त हो । पुल सहित एप्रोच ध्वस्त होने के बाद विधानसभा परिसीमन में पुल के दोनों ओर का गांव दो अलग- अलग कोचाधामन व किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में विभाजित हो गया। पुल का पूर्वी छोर किशनगंज तो पश्चिम छोर कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में पड़ गया। विधानसभा क्षेत्र परिसीमन का दंश आज तक यह पुल झेल रहे पुल निर्माण का बाट जोह रहा है। ग्रामीण अनवार आलम, डाक्टर मो.अकमल, जमीलअख्तर , फुरकान अली, शाहजहां, आबिद आलम, जहीरुद्दीन सुलैमान, सरफराज आलम, अजीबुर रहमान, मो मिजाज आलम ।फिरोज आलम, कमरुल हक, अजीजुर , धनी लाल लव कुमार आदि ग्रामीणों ने बताया कि करीब 14 वर्ष पूर्व तत्कालीन किशनगंज विधायक अख्तरुल ईमान अपने विधायक फंड से पुल का निर्माण कराया था। पुल निर्माण होने से ग्रामीण बहुत खुश थे। पुल निर्माण में गुणवत्ता की कमी के कारण निर्माण कार्य पूर्ण होने के एक वर्ष बाद ही बाढ़ के धार को सहन न कर सका। बाढ़ के धार में पुल का अप्रोच सहित पुल को तहस नहस कर दिया था। आज तक पुल की मरम्मती या पुनर्निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में मायूसी छाई हुई है।प्रत्येक वर्ष नदी का पानी कम होने पर पुल के दोनो छोर अप्रोच को चचरी पुल बना ग्रामीण आवाजाही कर रहे हैं। बाढ़ आने पर चचरी को बहा कर ले कर चला जाता है। जिस कारण ग्रामीणों को प्रखंड तथा जिला मुख्यालय जाने के लिए बेलवा या पांजीपाड़ा (बंगाल) होते हुए करीब दस किलोमीटर रास्ता ज्यादा तय करना पड़ रहा है।
पुल निर्माण होने से दर्जन भर गांव को होगा लाभ: सतिघटा-चौंदी गांव के निकट रमजान नदी के धार पर ध्वस्त पुुल का की जगह पुल निर्माण होने से सतीटा, चोन्दी, सतखमार, घोगापार, पियाकुरि, काशीपुर, कटहलबाड़ी, कुलामनी ,इलवाबाड़ी, सहित कई और गांव के लगभग दस हजार की आवादी प्रखंड तथा जिला मुख्यालय से सीधे जुड़ गया था। पुल का ध्वस्त हो जाने से इन गांव के ग्रामीण को बरसात व बाढ़ के समय गाछपाडा एवं बेलवा पंचायत के आधा दर्जन गांव के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को अपना फसल एवं सब्जी बेचने के लिए पांजीपाड़ा (बंगाल) पहुंचने के लिए अधिक दूरी तय करना पड़ता है। इसके अलावा किसानों को अपना अपना फसल घर तक लाने व लेजाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि ध्वस्त पुल की जगह नये पुल निर्माण के लिए कई बार क्षेत्रीय विधायक एवं सांसद से मिल कर पुल निर्माण की मांग किया गया है। लेकिन अब तक किसी जनप्रतिनिधि ने पुल निर्माण के लिए पहल नहीं किया है।
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