मक्का में बढ़ने लगा फॉल आर्मी का प्रकोप
जिले के प्रखंडों में लगे मक्का में फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप बढ़ने लगा है। जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है। हाल ही में कृषि विभाग ने वर्कशॉप के जरिए कृषि समन्वयक व किसान सलाहकारों को इसके लिए प्रशिक्षित कर किसानों को जागरुक करने को कहा था।
लेकिन प्रखंडों में कृषि समन्वयक व किसान सलाहकारों द्वारा इसमें रुचि नहीं ली जा रही है। रविवार को कोचाधामन प्रखंड के सोन्था में दो किसानों के 6 एकड़ में लगे मक्का की फसल में फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप देखा गया। इनमें किसान हयात सरमत का चार एकड़ व किसान नवाब का दो एकड़ फसल है। कोचाधामन विधायक मुजाहिद आलम की पहल पर किसानों के खेतों पर पहुंचे कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. हेमंत कुमार सिंह व डा. नीरज प्रकाश ने खेतों का मुआयना कर किसानों को फॉल आर्मी वर्म की पहचान व इससे बचाव के लिए कीटनाशी का प्रयोग करने की सलाह दी।
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि किशनगंज प्रखंड के चकला में भी मक्का के खेतों में इस वर्म का प्रकोप देखा गया है। वैज्ञानिक द्वय ने बताया कि मक्का में फॉल आर्मी वर्म के लक्षण अंकुरित अवस्था से ही दिख जाता है। यदि सभी आकार के लंबे व कागजी छिद्र आसपास के कुछ पौधों की पत्तियों पर दिखाई देते हैं तो फसल फॉल आर्मी वर्म से प्रभावित हो सकते हैं। यह लक्षण फॉल आर्मी वर्म लार्वा की पहली और दूसरी इंस्टार के कारण होते हैं। जो पत्ती की सतह को खुरच कर खाते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि फॉल आर्मी वर्म के वयस्क पतंगे तीव्र उड़ान भरनेवाले होते हैं जो मेजबान पौधों की तलाश में 100 किमी से अधिक उड़ सकते हैं। विशिष्ट फेरोमोन जाल, फॉल आर्मी वर्म के नर पतंगों को आकर्षित करते हैं। नर पतंगों में दो लक्षण चिन्ह होते हैं। यानि केंद्र की ओर एक भड़कीला रंग का स्थान और अग्रपंख के शिखर भाग पर एक सफेद पैच।
संक्रमण से बचाव के लिए क्या करें: मक्का की फसल को संक्रमण से बचाव के लिए कीटनाशी का प्रयोग करना चाहिए। पौधे निकलने के दो सप्ताह बाद पांच प्रतिशत संक्रमित पौधे होने पर पहला स्प्रे नीम बीज कर्नेल इमल्शन या एजेडिरॉक्टिन 15 सौ पीपीएम प्रति 5 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा इससे अधिक संक्रमित पौधों पर इनमें से किसी रसायनिक का छिड़काव करना चाहिए।
स्रोत-हिन्दुस्तान