पर्यटन स्थल नहीं बन सका ठाकुरगंज का कच्चूदह झील
ठाकुरगंज प्रखंड के छैतल पंचायत अंतर्गत कच्चूदह में 40 एकड़ भू भाग में फैला कच्चूदह झील आज तक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। इस झील को पर्यटन स्थल बनाने को लेकर कई प्रयास किए गए लेकिन स्थिति जस की तस है। पर्यटन की असीम संभावनाओ को समेटे इस झील की खासियत यह है कि चारों तरफ फैले इस झील के बीच में एक टापू है। नवंबर माह से ही बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां पहुंचने लगते हैं। जब पक्षी झील में विचरण कर रहे होते हैं तो दृश्य और भी मनोरम लगता है। लेकिन स्थिति यह है कि यहां आने वाले पक्षियों को संरक्षण भी नहीं मिल पाता। पर्यावरण विद का कहना है कि ये सैलानी पक्षी यहां आते हैं और चार माह में प्रजनन कर यहां बच्चे भी देते हैं तथा मार्च माह में यहां से चले जाते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि बंगाल, नेपाल के सीमावर्ती इलाके में स्थित ठाकुरगंज में महाभारत कालीन दो धरोहर हैं। यहां जिले के बाहर से लोग आते हैं। लेकिन अगर कच्चूदह झील को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाया जाता तो देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहां जरूर घुमने आएंगे। इस स्थान को गेट वे आफ हिमालय का भी नाम दिया गया है। बता दें कि कच्चूदह स्थल ठाकुरगंज शहर से मात्र छह किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
स्रोत-हिन्दुस्तान