धर्मावलबियों में सुहागन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य जीवन के कामना के लिए वट सावित्री पूजा अर्चना कर पंखा ,धागा बांध ,कुमकुम ,प्रसाद ,पुष्प अर्पित कर सुहागन हर नारी गौरी शंकर नाग नागिन की प्रतिमा बना कर पूजा अर्चना करते हुए अपने पति का लम्बे आयु की कामना की कथा करती नजर आई. धार्मिक मान्यता अनुसार जो व्रती सच्चे मन से इस व्रत को करती हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। कई जगह इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। इस व्रत के कुछ नियम हैं जिनका पालन करना काफी अहम माना गया है। जानिए वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री, विधि, नियम, कथा और सभी संबंधित जानकारी…
सुहागिनों द्वारा पति की दीर्घायु की कामना को लेकर किये जाने वाले इस व्रत का खास महत्व है। कहा जाता है कि पर्व से संबंधित पौराणिक कथाओं में कई जगह इस बात का जिक्र किया गया है की महिलाओं द्वारा अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखें गए व्रतों में वैवाहिक जीवन में सौंहाग सुख समृद्धि के लिए करती हैं । वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के अमावस्या को किया जाता है। इस व्रत में कुछ नारी उपवास रहती है कुछ फलाहारी रह कर इस पर्व को मनाती है ,वट वृक्ष में शनि देव के असीम कृपा के साथ त्रिदेव भी वास करते है । जिले के सभी प्रखंडों में लॉक डाउन में श्राद्ध कर्म शांति के साथ पर्व मनाया गया।