मछुआरा व बदमाश आमने-सामने
गंगा कोसी के विशाल दियारा क्षेत्र स्थित जलकरों में मछली मारने को लेकर मछुआरों एवं बदमाशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति रहने के कारण हिंसक झड़प की संभावनाएं प्रबल रहती है।
जिले के कुरसेला, बरारी, मनिहारी एवं अमदाबाद अंचल क्षेत्र में लगभग 22 हजार हेक्टेयर में फैले दियारा क्षेत्र में चार दर्जन से अधिक ऐसे जलकर हैं जिसका बन्दोबस्ती व पट्टा देने का कार्य मत्स्य विभाग एवं मत्स्यजीवि सहयोग समिति के द्वारा किया जाता है। इन नदियों की मुख्य धारा जब छाड़न छोड़ती है तथा जलकर की मछली बाढ़ की पानी में बहकर छाड़न की ओर चली जाती है तो इस दौरान मछली मारनेवाले बदमाशों की ललचाई नजर रहती है। जलकर का बन्दोबस्ती होने के कारण मछुआरों द्वारा मछली का स्पॉन भी गिराया जाता है। लेकिन मछली मारने के समय तनावपूर्ण स्थिति रहने के कारण मछुआ व अन्य गुटों के बीच हिंसक झड़प के साथ-साथ हवाई फायर की घटनाएं घटित होते रहता है। पुलिस अधीक्षक द्वारा दियारा क्षेत्र में शांति व्यवस्था को लेकर जिला पुलिस के जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई है। बावजूद मछुआ डरे व सहमें रहते हैं। जिला मत्स्य विभाग द्वारा जिले में 877 जलकरों की बन्दोबस्ती की जाती है। मछुआरे ने व्यक्त की व्यथा: इस बाबत दियारा क्षेत्र के राजकुमार महतो, नेपाली महतो, धनेश्वर महतो, मटरु महतो, विजय बिन्द, घुटरु सहनी, रामसेवक सहनी, हजारी चौधरी ने बताया कि बन्दोबस्ती रहने तथा जलकर में मछली का स्पोन गिराकर वे लोग मत्स्य पालन में चार माह मेहनत करते हैं। जब शिकार का समय आता है तब क्षेत्र के बदमाशों द्वारा रात में ही शिकार कर लिया जाता है। वे लोग इसके लिए अंचल व अन्य विभाग का चक्कर लगाते हैं तथा कानूनी प्रक्रिया में विलम्ब हो जाने के कारण प्रतिवर्ष नुकसान उठाना पड़ता है। मछुआरों ने बताया कि पुलिस के जवानों के पास जाते हैं तो माही शिकार का कागजात व बन्दोबस्ती का पट्टा देखने की बात अंचल पर टाल दिया जाता है। जिससे वे लोग परेशान रहते हैं।
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