दुनिया में भारतीय संस्कृति ही सबसे प्राचीन
बिहार बाल मंच की ओर से शहर के पीडब्लूडी परिसर में बाल साहित्यकार हेमन्त यादव शशि की अध्यक्षता में सोमवार को भारतीय संस्कृति—सर्वोत्तम संस्कृति विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
इसमें बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित थे। मौके पर श्री शशि ने कहा कि दुनिया की समस्त संस्कृतियों में भारत की संस्कृति ही प्राचीनतम है। आध्यात्मिक प्रकाश दुनिया को भारत की देन है। भारतीय संस्कृति का अनुसरण करने वाले को भौतिक सुख और आंतरिक शांति का होना सुनिश्चित है। वहीं विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि अनेक परंपरागत संस्कारों से ही किसी जाति, समुदाय, देश, राज्य की संस्कृति बनती है। हमारी एक विशेषता यह रही है कि देश में नाना धर्म, जाति, पंथ, विचार रहते हुए भी हम सब एक सूत्र में बंधे हुए हैं। साहित्यकार हर्ष नारायण दास ने कहा कि हमारे यहां नारदजी आत्मज्ञान का प्रसार करने के लिए हर घड़ी प्रयत्न करते रहते थे। व्यास जी ने संसार को धर्म ज्ञान देने के लिए १८ पुराणों की रचना की। कवि बाल्मीकि ने रामायण ग्रंथ की रचना कर मानव जाति को कर्त्तव्य—पथ पर चलने के लिए अग्रसर किया। सुनील साह ने कहा कि चरक, सुश्रुत, वाग्मत, धन्वन्तरि जैसे ऋषियों ने जीवन भर जड़ी—बूटियों, धातुओं, विषों आदि का अन्वेषण करके रोगग्रस्त पीड़ितों के त्राण करने के लिए चिकित्सा—शास्त्र का आविर्भाव किया। कार्यक्रम में अरविंद ठाकुर, पलकधारी मंडल, ब्रह्मदेव पासवान उपस्थित थे। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों द्वारा बच्चों को उपहार प्रदान किया गया।