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अररिया में फारबिसगंज-सुपौल के बीच ट्रेन चलने की आस

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अररिया में फारबिसगंज-सुपौल के बीच ट्रेन चलने की आस

सहरसा-सुपौल रेलखंड पर रविवार से ट्रेन का परिचालन शुरू होने से अररिया जिले के लोगों में भी फारबिसगंज-सुपौल के बीच रेल गाड़ी के दौड़ने की उम्मीद जगी है। लेकिन कब से इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अब तक जिले के लोगों में धैर्य का बांध टूटता जा रहा है।

यहां बता दें कि 2008 कुशहा त्रासदी में नरपतगंज के सुरसर से लेकर प्रतापगंज तक दर्जनों रेलवे के पुल पुलिया ध्वस्त तथा पटरी बह जाने के बाद से हीं फारबिसगंज से राघोपुर तक रेलखंड पूरी तरह बंद रहने से इस क्षेत्र का विकास बाधित है। वहीं दूसरी ओर रविवार को सुपौल से सहरसा रेलख्ंाड पर आमान परिवर्तन के बाद रेलगाड़ी का परिचालन शुरू कर दिया गया। डीआरएम अशोक महेश्वरी के अनुसार सुपौल से सहरसा रेलखंड पर विगत 26 दिसंबर 2016 को इस रूट पर ट्रेन को बंद किया गया था। इनका कहना है कि इस निर्धारित रूट पर लक्ष्य समय से पूर्व रेलवे का परिचालन शुरू किया गया है।

2008 में कुसहा बाढ़ त्रासदी के समय फारबिसगंज से सुपौल इलाके के रेलखंड पर कोसी का कहर बरपा था। कई जगह पुल ध्वस्त हुए थे तो कई जगह पटरियां ही जमींदोज हो गई थी। काफी जद्दोजहद के बाद कुछ दिनों के लिए नरपतगंज से फारबिसगंज तक रेल परिचालन शुरू हो पाया था। किन्तु अमान-परिवर्तन के नाम पर 20 जनवरी 2012 को राघोपुर-फारबिसगंज के बीच मेगा ब्लाक ले लिया गया। लेकिन कार्य की धीमी गति के कारण न तो अब तब अमान-परिवर्तन का कार्य पूरा हो सका है और न ही लोगों को रेलवे द्वारा अतिरिक्त यात्री सुविधा बहाल की गई। नतीजा है कि आज भी राघोपुर-फारबिसंगज के बीच अमान-परिवर्तन का कार्य सुस्त पड़ा है। हालात हैं कि कोसी-सीमाचंल व मिथिलांचल की बड़ी आबादी रेल सेवा नहीं रहने से आर्थिक रूप से पिछड़ रहे हैं और उन्हें बेसब्री से रेल परिचालन का इंतजार है।

अगस्त 2008 में अंतिम बार चली थी एमआर ट्रेन: कुसहा त्रासदी के समय अगस्त 2008 में इस खंड पर अंतिम बार एमआर यानी मिनिस्टर ऑफ रेलवे स्पेशल ट्रेन चली थी। इसमें तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव बाढ़ पीडि़त से मिलने नरपतगंज गए थे। जानकार बताते हैं कि 1997 के रेल बजट में ही तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान द्वारा इस खंड को पूरक रेल बजट में शामिल किया गया था। विगत 22 वषोंर् में क्षेत्रवासियों की

आंखों में बड़ी रेल लाइन की सपना तैर रहे हैं।

20 जनवरी 2012 को जब सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर पहले चरण का मेगा ब्लाक लिया गया तब कोसी क्षेत्र के लोगों को लगा कि अब उनके भी दिन बहुरेंगे और देश के तमाम हिस्सों से वे भी सीधे तौर पर जुड़ जाएंगे।

Source – Hindustan

 

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