
फारबिसगंज:ऑल इंडिया प्राइवेट कोचिंग एसोसिएशन (आइपका) के सदस्यों ने कोरोना के कारण कोचिंग संस्थानों का लंबी अवधि से बंद रहने की स्थिति में कोचिंग संचालकों एवं आश्रितों की आजीविका हेतु उत्पन्न समस्याओं को लेकर आईपका के संस्थापक राशिद जुनैद की अध्यक्षता में जिला पदाधिकारी के कार्यालय एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी अररिया राजकुमार से मिलकर ज्ञापन सौंपकर अपनी पीड़ा से अवगत कराते हुए कोचिंग संस्थानों को खोलने का आग्रह किया!
एसोसिएशन द्वारा दिए गए ज्ञापन में बताया कि पिछले साल मार्च महीने से कोचिंग संस्थान बंद है। जिसका सीधा प्रभाव छात्र-छात्राओं के शिक्षा एवं इस कार्य से जुड़े शिक्षकों के आजीविका पर पड़ा है। ज्ञात हो कि वर्ष 2020 में कोरोना की शुरुआत हुई जिसमें लगभग सभी वर्ग के लोग प्रभावित हुए लेकिन इन सभी समस्या के बीच एक शिक्षक वर्ग ही था जिसके पास ना कोई दूसरा विकल्प और ना ही कोई जीवन यापन हेतु पर्याप्त संचित धन। शैक्षणिक कार्य से जुड़े लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके थे इस बीच भारत सरकार के निर्देश पर अक्टूबर माह में प्रधान सचिव शिक्षा विभाग बिहार द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश के तहत अभिभावकों की अनुमति पत्र के उपरांत शैक्षणिक संस्थान को खोलने की अनुमति मिली। इस परिस्थिति में हम लोग ऋण लेकर संस्थान को पुनः स्थापित कर ही पाए ही थे कि पुनः दूसरी लहर के प्रारम्भ में सबसे पहले शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया जबकि इसी वक्त में अन्य सेवाएं एवं लाखों की भीड़ में राजनीतिक रैलिया होती रही। यह बिल्कुल दोहरा मापदंड था। जिससे कोचिंग संचालकों पर मानसिक तौर पर काफी दबाव बना। वही इस काल में सरकार द्वारा कोचिंग संचालकों के हित में कोई पहल नहीं किया गया।
आवेदन में आइपका के सदस्यों ने कहा कि सरकार द्वारा जारी अंतिम आदेश में राज्य में कोरोना संक्रमण में कमी की बात स्वीकारते हुए व्यापार एवं अन्य सेवाओं को आवश्यक छूट दी गई लेकिन शैक्षणिक संस्थानों को बंद ही रखा गया जो अनुचित है। इसलिए ने कोचिंग संस्थानों को कोविड प्रोटोकॉल के अंतर्गत शैक्षणिक कार्य कराने की अनुमति देने का सहानुभूति पूर्वक आग्रह किया। वही एसोसिएशन के प्रखंड सचिव कृष्णा मेहरा ने कहा कि कोचिंग संस्थानों में खास तौर पर माध्यमिक या उससे ऊपर के वर्ग के बच्चे आते हैं जो कोविड प्रोटोकॉल से भलीभांति अवगत होते हैं ऐसे में जब राज्य में सब कुछ खुल चुका है बच्चे कहीं भी आ- जा सकते हैं तो शैक्षणिक संस्थानों को भी खोल देना चाहिए या सरकार को शिक्षकों की जीविका का प्रबंध करना चाहिए। वही इस मौके पर संस्थापक राशिद जुनैद, संस्थापक सदस्य महताब अंसारी, कृष्णा मेहरा, हीरा हिमांशु, मो० अंसार, नवनीत सिन्हा, ज्योति सिंह, श्री प्रसाद करपत, निरंजन कुमार आदि उपस्थित थे।