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अपनी पहचान खो रहा मानिकपुर का ऐतिहासिक बुर्ज

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अपनी पहचान खो रहा मानिकपुर का ऐतिहासिक बुर्ज

मानिकपुर गांव स्थित ऐतिहासिक बुर्ज आज अपनी पहचान खो रहा है।

रख-रखाव के अभाव में बुर्ज जगह-जगह जर्जर होने लगा है। उग आयी झाड़ियां अस्तित्व को खत्म कर रहा है। डायरेक्टर जनरल ऑफ सर्वे सर जॉर्ज एवरेस्ट की पहल पर एसएस वाग ने 1854 में मानिकपुर टीला की आधारशिला रखी थी। तब पहाड़ों के मुआयना के लिए सर्वे हुआ था। त्रिकोणमितीय पद्धति से पहाड़ों का ऊंचाई निकाला था। मानिकपुर टीला से त्रिकोणमितीय पद्धति से पहाड़ों की ऊंचाई मापी गई थी। जब मानिकपुर टीला से एवरेस्ट को मापी गई थी तब उसकी ऊंचाई 29हजार फीट था। इस एवरेस्ट को सबसे ऊंची वाली पहाड़ में शुमार किया गया है। सरकारी उपेक्षा के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह ऐतिहासिक बुर्ज अपनी पहचान खो चुका है । दो दशक पूर्व सांसद निधि से 11लाख रुपये खर्च कर इसे स्वरूप देने का प्रयास हुआ।

बुर्ज की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने दिखाई थी एकजुटता: करीब एक दशक पूर्व स्वर्णिम चतुर्भुज योजना अंतर्गत ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत फोरलेन रोड का निर्माण हो रहा था तो यह बुर्ज रोड के बीच में आ गया था। निर्माण एजेंसी इसे तोड़ने के लिए तत्पर थी मगर ग्रामीणों की एकजुटता को लेकर मानिकपुर टीला के पास फोरलेन को कर्व कर दिया गया।

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