Home अररिया गला दबाकर पत्नी की हत्या करने पर पति को उम्रकैद परिजनों ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी

गला दबाकर पत्नी की हत्या करने पर पति को उम्रकैद परिजनों ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी

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गला दबाकर पत्नी की हत्या करने पर पति को उम्रकैद परिजनों ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी

अररिया. न्यायमंडल अररिया के जिला सत्र न्यायाधीश हर्षित सिंह की अदालत ने शुक्रवार को भरी अदालत में पत्नी की हत्या करने का मामला प्रमाणित होने जिले के ताराबाड़ी थाना क्षेत्र के सहसमल घूरघूरा के रहनेवाले सीएसपी संचालक 32 वर्षीय सतीश पासवान पिता स्व प्रवीण पासवान को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

जिला जज श्री सिंह ने यह सजा ताराबाड़ी थाना कांड संख्या 69/2021 से संदर्भित मुकदमा संख्या एसटी 330/21 में सुनाया है. विशेष जानकारी देते हुए सरकार की ओर से लोक अभियोजक (पीपी) लक्ष्मीनारायण यादव ने बताया कि आरोपी सीएसपी संचालक है. वो अपने पैतृक गांव सहसमल घूरघूरा में रहकर सीएसपी का काम करता था. सहसमल घूरघूरा की ही रहनेवाली खुशबू कुमारी का आरोपी के सीएसपी में आना जाना होने लगा. सीएसपी में आने जाने के क्रम में खुशबू कुमारी व आरोपी सतीश पासवान के बीच निकटता बढ़ने लगा.

पूर्व से शादीशुदा होते हुए भी प्रेमवश आरोपी ने खुशबू कुमारी से दूसरी शादी कर ली. इस शादी से जहां खुशबू कुमारी के परिजन नाराज चल रहे थे. वहीं आरोपी सतीश पासवान की पहली पत्नी उमा देवी भी घर छोड़कर मायके चली गयी थी. इधर पहली जून 2021 को आरोपी सतीश पासवान के आश्वासन पर की सारी संपत्ति उमा देवी के नाम कर देंगे. इस शर्त पर पहली पत्नी उमा देवी आरोपी के घर आ गई.

जबकि ठीक दूसरे दिन अहले सुबह जब खुशबू कुमारी अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तो आरोपी व आरोपी के परिजन ने खुशबू कुमारी के कमरा का कुंडी तोड़कर अंदर गया तो पाया कि खुशबू कुमारी बांस की बल्ली पर लटकी हुई है. हालांकि खुशबू कुमारी के परिजन मायानंद मंडल ने सूचक बनकर आरोपी सतीश पासवान पर आरोप लगाया कि आरोपी ने अपनी दूसरी पत्नी की हत्या अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर गला दबाकर कर दिया है. कोर्ट में सभी गवाहों ने घटना का पूर्ण समर्थन किया.

 

गवाहों के बयान से संतुष्ट होकर न्यायालय के न्यायाधीश हर्षित सिंह ने सीएसपी संचालक आरोपी पति सतीश पासवान को दोषी करार दिया. सजा के बिंदू पर सरकार की ओर से लोक अभियोजक (पीपी) लक्ष्मीनारायण यादव ने ऐसे जघन्य अपराध करने के लिए आरोपी को फांसी देने की प्रार्थना की. जबकि बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता देबू सेन ने आरोपी की कम उम्र को देखते हुए कम से कम सजा देने की गुहार लगायी. दोनों पक्षो की दलीलें सुनने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश हर्षित सिंह ने आरोपी की सजा मुकर्रर की.

 

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